जीका वैक्सीन बनाने में क्या हैं दिक्कतें ?
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (WHO) ने प्रायोरिटी जताई की जीका के खिलाफ वैक्सीन बनाने की मुहीम चलाई जानी चाहिए, काफी प्रयास वैज्ञानिकों की तरफ से हुए पर कोई बड़ा परिणाम निकल कर नहीं आया |
वैक्सीन निर्माण में शुरूआती दिक्कत यह आई कि जीका वायरस की जो एंटीबाडी बनती हैं वो जीका से बचाने में तो ठीक हैं लेकिन उसी व्यक्ति को डेंगू हो जाने पर हालात भयंकर बिगड़ जाते हैं, इसे एंटीबाडी डिपेंडेंट एन्हेंसमेंट (ADE) कहा जाता है | “साइंटिफिक रिपोर्ट्स” जर्नल में छपी, नेब्रास्का-लिंकन यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च के अनुसार ऐसी जीका वैक्सीन बनाई तो जा सकती है जो बिना एंटीबाडी बनाये ही, जीका से बचाव करे, इस पर खोज जारी है |
केयु ल्युवेन रेगा इंस्टिट्यूट, बेल्जियम ने एक और सीढ़ी चढ़ते हुए ऐसी वैक्सीन तो बना ली है जो अजन्मे बच्चों को माइक्रोसिफेली होने से बचा सके, इसका सफलतापूर्वक परीक्षण गर्भवती चुहिया में किया जा चूका है | इन वैज्ञानिकों का कहना है की यह वैक्सीन येलो फीवर की तर्ज पर बनाई गयी है जो कि उसी मच्छर से ट्रांसमिट होता है, इन्होने वैक्सीन में येलो फीवर के कोड को जीका के कोड से बदलने की तकनीक पर काम किया |
उक्त दोनों संस्थाओं की रिसर्च शुरूआती संभावनाओं को दर्शाती है, लेकिन अभी जीका की वैक्सीन का बन पाना आसान नहीं |
Source – IE