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Prerna award and scheme

National Population stabilization Fund

Prerna Award: In order to help push up the age of marriage of girls and space the birth of children in the interest of health of young mothers and infants, JSK launched PRERNA, a Responsible Parenthood strategy in all districts of seven high focus states namely Bihar, Uttar Pradesh, Madhya Pradesh, Chhattisgarh, Jharkhand, Odisha and Rajasthan. The strategy has been to identify the couple and award couples who have broken the stereotype of early marriage, early childbirth and repeated child birth and have helped change the mindsets of the community.

 

Prerna Scheme: In order to become eligible for award under the scheme, the girl should have been married on or after 19 years of age and given birth to the first child after at least 2 years of marriage. The couple will get an award of Rs.10,000/- if it is a Boy child or Rs.12,000/- if it is a Girl child. If birth of the second child takes place after at least 3 years of the birth of first child and either parent voluntarily accept permanent method of family planning within one year of the birth of the second child, the couple will get an additional award of Rs.5,000/- (Boy child) / Rs.7,000/- (Girl child). The amount of award will be given to the beneficiaries in their Adhar linked account through DBT.
The scheme is meant only for BPL families.

Attached – Prerna yojana scheme guideline and application format

Mukhyamantri Shubh Laxmi Yojana

माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा वर्ष 2013-14 के बजट घोषणा अनुसार राज्य में बालिका जन्म को प्रोत्साहन देने एवं लिंगानुपात में सुधार लाने के उद्देश्य से 1 अप्रैल, 2013 से मुख्य्मंत्री शुभलक्ष्मी योजना प्रारम्भ की गयी। इस योजना के अंतर्गत निम्न लाभ देय है:-

  1. दिनांक 1 अप्रैल, 2013 या इसके बाद राजकीय या अधिस्वीकृत (Accredited) चिकित्सा संस्थानों में संस्थागत प्रसव से बालिका के जीवित जन्म होने पर महिला को 2100/- रूपये की राशि देय होगी। यह राशि जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत देय राशि के अतिरिक्त है।
  2. बालिका की उम्र 1 वर्ष होने पर तथा उम्र अनुसार सभी आवश्यक टीके लगवाने पर बालिका के प्रथम जन्म- दिवस पर महिला को 2100/- रूपये की अतिरिक्त राशि और देय होगी। यह लाभ 1 अप्रैल, 2014 से देय होगा। इस लाभ को प्राप्त् करने के लिये बालिका के टीकाकरण का कार्ड/ममता कार्ड प्रस्तुत करना है।
  3. बालिका की उम्र 5 वर्ष पूर्ण होने पर तथा स्कूल में प्रवेश लेने पर योजना का तीसरा लाभ देय होगा। इसके अंतर्गत महिला को 3100/- रूपये की राशि देय होगी। यह लाभ 1 अप्रैल, 2018 से देय है।

 

  • योजना के सफल क्रियान्वंयन के लिये जिस संस्थान पर प्रसव हो रहा है उसी संस्थान द्वारा राशि रूपये 2100/- किया जायेगा। अधिस्वीकृत (Accredited) चिकित्सालय में जननी सुरक्षा योजना की भुगतान की प्रक्रिया के अनुसार ही मुख्यमंत्री योजना के तहत भुगतान किया जायेगा।
  • जननी सुरक्षा योजना एवं मुख्यमंत्री शुभलक्ष्मी योजना के तहत दिये जाने वाले लाभ अलग-अलग दिये जायेगे।
  • इस योजनातंर्गत पृथक से राशि उपलब्ध नही होने पर जननी सुरक्षा योजना में उपलब्ध बजट का उपयोग किया जायेगा।
  • इस योजना का लाभ उन महिलाओं को देय है जिनके प्रसव 03.2013 को मध्य रात्रि 12.00 बजे पश्च्यात हुए तथा प्रसव से जीवित बालिका का जन्म् हुआ।
  • इस योजना का लाभ कॉटेज वार्ड में भर्ती प्रसूताओं को भी देय है।
  • परिवहन के दौरान प्रसव होने पर भी इस योजना लाभ देय है।
  • एक से अधिक बालिका के एक ही प्रसव में पैदा होने पर जीवित बालिकाओं की संख्या। के आधार पर उतनी ही संख्या में लाभ 2100/- रूपये के गुणांक में देय है।

32 Clinical seats increased in Rajasthan Medical Colleges

08 March 2018

मेडिकल कॉलेजों में पीजी (क्लीनिकल) विषयों में 32 सीटों की बढो़तरी की है। बढ़ी हुई सीटों में सत्र 2018-19 से ही प्रवेश देना होगा। एसएमएस मेडिकल कॉलेज में एमएस (ईएनटी) में अब 7 की बजाय 12, एसपी मेडिकल कॉलेज बीकानेर में एमएस (ऑफ्थेल्मोलोजी) में 6 की बजाय 8, आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर में एमएस (ऑफ्थेल्मोलोजी) में 3 की बजाय 4 को प्रवेश दिया जा सकेगा। जानिए और इस बारे में …

– स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य सरकार को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, नई दिल्ली के नियमानसार निर्धारित मापदंड़ों में इन्फ्रास्ट्रक्चर, मेनपावर व उपकरणों की कमी पूर्ति करने के निर्देश दिए हैं। सरकारी कॉलेज कोटा में गायनी की सबसे ज्यादा 11 सीटें बढ़ी हैं।

यहां भी सीटें बढ़ी

सरकारी कॉलेज कोटा

– एमएस एनेस्थेशियालोजी में 11 की बजाय 16

-एमएस (गायनी) में 4 की बजाय 15

-एमएस (ऑफ्थेल्मोलोजी) में 3 की बजाय 4

जेएलएन मेडिकल कॉलेज अजमेर

-एमएस (एनेस्थेशियालोजी) में 14 की बजाय 16

-एमडी (डर्मेटोलोजी) में 3 की बजाय 4

-एमडी (मेडिसन) में 14 की बजाय 18

Read more at Medical Dialogues: One Time Increase in PG Seats: 612 MD, MS seats to be added https://medicaldialogues.in/one-time-increase-in-pg-seats-612-md-ms-seats-to-be-added/

7 CPC Latest Salary Calculation

Dynamic assured career progression DACP

Press Information Bureau 

Government of India

Ministry of Health and Family Welfare

27-August-2013 13:27 IST

Career Promotion Schemes for Doctors 

 

Central Health Service (CHS) Officers in Central Government are governed by the Dynamic Assured Career Progression (DACP) Scheme, which was implemented by Government of India based on the recommendations of Vth Central Pay Commission providing promotion to the CHS officers without linkage to vacancies upto the level of Chief Medical Officer – Non-Functional Selection Grade (CMO-NFSG)/ Specialist Grade I/ Professor w.e.f. 5.4.2002. The benefit of promotion under DACP Scheme was extended to Dental Officers under Ministry of Health and Family Welfare without linkage to vacancies upto the level of Staff Surgeon (Dental) (NFSG)/ Professor/ Maxillofacial Surgeon w.e.f. 25.8.2006.

 

Based on the acceptance of VIth Central Pay Commission’s the Government of India further extended the Dynamic Assured Career Progression (DACP) Scheme upto the Senior Administrative Grade (SAG) level without linkage to vacancies in respect of Medical and Dental Doctors in the Central Government, whether belonging to Organised Service or holding isolated posts w.e.f. 29.10.2008 .All Ministries/ Departments of the Central Government are required to implement the DACP Scheme accordingly in respect of Medical/ Dental Doctors under their control. This benefit of promotion upto the level of SAG without linkage to vacancies under DACP Scheme was also extended to the officers of various sub-cadres of Central Health Service (CHS) and Dental Doctors under the Ministry of Health and Family Welfare w.e.f. 29.10.2008.

Doctors belonging to respective State services are not under the ambit of Central Government. The promotion of eligible Central Government medical doctors is a continuous ongoing process and promotions are made after following due procedure like Departmental Promotion Committee (DPC) constituted for the purpose and fulfilment of other formalities as per Department of Personnel & Training’s instructions in this regard.

This information was given by the Union Minister of Health & Family Welfare Shri Ghulam Nabi Azad in written reply to a question in the Lok Sabha today.

PIB

All Rajasthan In Service Doctors Association

सरकारी चिकित्सक क्या है ?

राजस्थान प्रदेश में कार्यरत प्रत्येक वो चिकित्सक जो कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत है वो सरकारी चिकित्सक है ।

मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों का अलग कैडर है, अलग नियम हैं और अलग भर्ती होती है, दोनों विभागों में समान डिग्री और अनुभव आदि होंने पर भी मेडिकल एजुकेशन वालों के पे ग्रेड, सेलरी, प्रमोशन व अन्य सुविधाएं सरकारी चिकित्सक के बजाय काफी बढ़िया हैं, जो कि निश्चित रूप से सरकार का दोगलापन है ।

अरिसदा क्या है ?

फ्री दवा जांच योजना से पहले सरकारी डॉक्टर जीवन यापन सही से कर रहे थे और एक दूसरे की आवश्यकता नही थी, आजकल सब फ्री हो जाने के बाद डॉक्टर सैलरीड एम्प्लॉयी हो गए हैं और इसीलिए तनख्वाह, भत्ते, प्रमोशन की तरफ आस लगाए हुए हैं, इसी आस का आधार बना है “अरिसदा” । 2011 में एक इतिहास इस संघ के बैनर तले लिखा गया लेकिन आपसी खींचतान और कुछ अन्य कारणों से इसके बाद इस संघ में केवल बिखराव ही आया है ।

अरिसदा सेवारत चिकित्सकों का अलोकतांत्रिक संघ है जिसमें निर्वाचन के बजाय मनोनयन की परंपरा ज्यादा है जिसमें जिलों में अधिकारियों को मुख्य पद दिए जाते हैं और राज्य स्तर पर जयपुर वालों पर जबरदस्ती कई पद थोपे जाते हैं और यही इस संघ की कमजोरी का सबसे बड़ा कारण है ।

अरिसदा मजबूत कैसे हो ?

इसे मनोनयन की संस्था से लोकतांत्रिक संस्था बनाया जाए ताकि दूरस्थ phc पर कार्यरत चिकित्सक को भी राज्य कमेटी में अपनी भूमिका लगे ।

आज के दिन मुख्य मांगे क्या हैं?

1. चिकित्सा विभाग में सेवारत चिकित्सकों का कैडर (भारत सरकार/हरियाणा के अनुरूप) बनाया जाए ।

2. एक पारी में अस्पतालों का संचालन ।

3. केंद्र के समान वेतनमान, भत्ते और पदोन्नति मिलें, पूर्व में डीएसीपी में रही विसंगतियों को दूर किया जावे ।

प्रमोशन में वन टाइम रिलेक्सेशन मेडिकल एजुकेशन विभाग की भांति दिया जावे ।

4. पीजी प्रवेश परीक्षा हेतु पूर्व में डिफाइन (2017 में डिफाइन किये गए रिमोट/डिफिकल्ट) किये गए ग्रामीण क्षेत्र (रिमोट/डिफिकल्ट), जिसमें ग्रामीण भत्ता मिलता है को यथावत रखा जाए ।

5. ग्रामीण भत्ता मूल वेतन पर 50 प्रतिशत दिया जावे ।

6. ट्रांसफर पालिसी बनाई जावे, चिकित्सा अधिकारियों को नियम 22A के तहत प्रारम्भ में ग्रामीण क्षेत्र में लगाया जाए फिर शहरी क्षेत्र में शिफ्ट किया जावे एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत चिकित्सकों के रहने हेतु नजदीकी शहरों में क्वार्टर उपलब्ध करवाए जावें, इमेरजेंसी ड्यूटी हेतु ट्रांसपोर्ट की सुविधा अन्य राजपत्रित अधिकारियों की भांति उपलब्ध करवाई जावे ।

7. चिकित्सकों की वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन (ACR) के रिव्यू अधिकार पंचायती राज के अधिकारियों से हटाकर पूर्व की भांति CMHO/JD/DMHS को दिए जावें । (कैडर बनते ही यह मांग खत्म)

8. कई जगह सीएमएचओ जिला परिषद कार्यालयों आदि अन्य जगहों पर बैठते हैं, इनके लिए अलग से ऑफिस बनाये जावें । (कैडर बनते ही यह मांग खत्म)

9. चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में नई पॉलिसी/योजना/बजट घोषणा करने से पहले इसकी विस्तृत चर्चा सेवारत चिकित्सक संघ से की जाए ताकि इनकी प्रभावी क्रियान्विति हो ।

10. चिकित्सालयों में बनी सोसायटी RMRS के अध्यक्ष चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को बनाया जावे । (कैडर बनते ही यह मांग खत्म)

11. सभी चिकित्सालयों में IPHS norms के अनुसार जनता को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई जावे ।

12. सभी चिकित्सकों को समय समय पर ट्रेनिंग/कॉन्फ्रेंस, प्रत्येक वर्ष में कम से कम 3 बार राज्य सरकार के व्यय पर करवाई जावे ।

13. नए जोइनिंग करने वाले चिकित्सा अधिकारियों के लिए जोइनिंग के एक माह में ही रिफ्रेशर कोर्स/इंडक्शन ट्रेनिंग करवाई जाए, उसी के बाद इनको पदस्थापित किया जावे ।

14. दंत चिकित्सकों का प्रोबेशन पीरियड एमबीबीएस चिकित्सकों की तरह एक वर्ष का किया जावे ।

15. चूंकि दंत चिकित्सकों की नियुक्ति शहरी क्षेत्र में ही होती है अतः उनके शहरी क्षेत्र में की गई सेवा अवधि के आधार पर ही उन्हें पीजी परीक्षा में 10-20-30 प्रतिशत बोनस दें ।

एक चिकित्सक से क्या अपेक्षा है ?
जिला स्तर पर प्रति दो माह में एक चिकित्सक मीटिंग हो जिसमें हर चिकित्सक उपस्थित होकर यूनियन की मजबूती में हिस्सेदारी प्रदान करे ।

जरूरत पड़ने पर जिला स्तर और राज्य स्तर पर होने वाले धरने प्रदर्शन मीटिंग आदि में पहुंचे ।

*चिकित्सकों का काफी नकारात्मक माहौल जनता में चल रहा है, ऐसे में सभी चिकित्सक पॉजिटिव माहौल बनावें और एक दूसरे पर कटाक्ष के बजाय एकजुटता वाली मिशाल कायम करें 🙂

Rajasthan State hopeful of new session in 5 medical colleges from July 1

after the recommendation made by MCI of disapproving the proposed medical colleges to the Centre, the medical education department stepped up efforts and started preparation to make the proposed medical colleges operational as per the MCI norms.

The MCI had presented the report, which pointed out flaws in these colleges, at the executive committee meeting held in January 13. The new medical colleges, proposed by the state government, would have had a capacity to admit 100 MBBS students each.

In Dungarpur, the inspection team found that there was a 100% `deficiency in faculty as well as resident doctors. The colleges had also not appointed deans and medical superintendents. It was also found that they lacked facilities such as audiometry and speech therapy, central oxygen and central suction systems, and disaster trolleys and crash carts.

After the MCI’s report was out pointing out flaws in the proposed medical colleges, the medical education department swung into action and conducted interviews of faculty for the proposed medical colleges and developing other necessary facilities required in medical colleges as per the MCI norms.

The medical education department conducted interviews in April for recruiting faculties in non-clinical and clinical breaches. The department created posts of professors, associate professor, assistant professor and senior demonstrator.

Now, after completing all the recruitment processes, the medical education department is hopeful that they will get the nod of the Centre for starting five new medical colleges in the state from academic session 2017-18.

Calculate your salary and arrears  (Rajasthan)

See your salary and arrears here

Finance Department link

Still testing mode so don’t get panic.

Rajasthan medical and health service rules Amendments

Pension

1. Pension
1.1 Meaning : Pension is a recurring monthly payment on retirement to a Government
Servant.
1.2 Elements of Pension :
The three main elements, which go into computation of pension are :-
(a) The length of qualifying service of a Government Servant.
(b) Reckonable emoluments for pension and
(c) The scale and formula of pension applicable on the date of retirement.
1.2.1 Qualifying Service:-
The amount of pension is based on the length of ‘qualifying service’ of a retiring
Government Servant. Out of the total service of a Government Servant, the
following periods do not qualify for pension.
(i) Boy Service (Service rendered before attaining the age of 18 years.)
(ii) Extraordinary leave without medical certificate.
(iii) Overstay, Periods of suspension and other interruptions declared as nonqualifying.
(iv) Service as apprentice.
Commencement of qualifying service :-
Qualifying service commences from the date of initial appointment on a post and
time scale in State Government department, followed without interruption in the same or
any other service or post under the Government. It should be paid from the consolidated
fund of the State. The period of deputation to any other organization under the
orders/approval of the State Government is treated as qualifying for pension. The amount
of pension contribution @ 12% of the maximum of the scale of the post, is however
payable by the Borrowing organization through Directorate of Pension and Pensioners’
Welfare to the Government of Rajasthan.

For GPF the stoppage of deductions would be from three months before the date of RETIREMENT of the employee concerned
For SI the stoppage would be from three months before the date of MATURITY, according to rules all employees going to retire between 01/04/2015 to 31/03/2016 are having same date of MATURITY i.e. 01/04/2015 hence their deduction for SI would stop at the same time.