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प्रयागराज के एसआरएन अस्पताल को जल्द मिलेगा स्किन बैंक
17.06.2022
The skin bank would come up at the additional floor of the under-construction burn unit building at SRN Hospital at a cost of ₹3.6 crore.Swaroop Rani Nehru (SRN) Hospital of Prayagraj will soon have a ‘skin-bank’ that will aid in better treatment of burn victims.Officials of Moti Lal Nehru Medical College (MLNMC), under which the SRN Hospital falls, said a proposal in this regard has been sent to the state government for approval.Skin banking is a process in which skin grafts are harvested from a cadaveric donor and stored for future use. Just like cornea donations after death skin from a donor is harvested within 6 hours of death. It is stored in glycerol and then taken to a skin bank. There it undergoes processing and is then stored at -70° Celsius. It can be preserved for up to one year,” said Dr Mohit Jain, head of the department of plastic surgery, MLNMC.He said this skin can be used for patients having large areas affected by burn injury and needing grafting.Dr Jain further said “The burnt skin is removed and skin stored in a skin-bank is applied over the wound. This helps in saving the life of the patient as the skin stays for 10-12 days which are the most critical days for the burn patient. This can prevent water loss, infection and pain and is extremely advantageous for the survival of burn patient.”He added that proposed skin bank would come up at the additional floor of the under-construction burn unit building being built at a cost of ₹3.6 crore.“If approved, we will need few things like chemicals and freezers among others,” he added.Dr Jain said “A 26-bed burn unit is under construction at SRNH under state government sponsored Rani Lakshmi Bai Mahila Samman Yojana and Centre-sponsored National Programme of Prevention and Management of Burn Injuries. Our proposal is an extension of this facility which is under construction.”In India, more than a million cases of burn injuries are reported every year, and most of them require skin cover and grafts. In case of deficient donor skin, immediate early excision and cover can be done with allograft which can be used for coverage of wound or it can be used with autograft as “sandwich technique.”
तेलंगाना HC ने मानसिक रूप से बीमार को अस्पताल से स्थानांतरित करने की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
17.06.2022
The Telangana high court on Tuesday reserved its judgment in a petition by an NGO questioning the state’s move to shift its (NGO’s) mentally ill patients from the Sanga Reddy Government Hospital to Erragadda. The state has said that it wants to upgrade the Sanga Reddy hospital and requires the space being used by the NGO.The NGO, Integrated New Life Society for Education and Development (INSED), claimed that it was attending to the mentally ill orphans at the Sanga Reddy hospital and wanted a dedicated space to run an exclusive mental health facility. M Manohar of the NGO said they were treating 57 patients at the hospital and questioned the attempts to remove them from their care.Advocate General BS Prasad said the state would be shifting all of them to the state-run mental health facility at Erragadda. “The state government wants to upgrade the Sanga Reddy district hospital into a full-fledged government medical college and hospital,” the AG said.Petitioner’s counsel P Padma Rao, however, said that the mental health patients at Sanga Reddy would suffer if they were shifted to Erragadda as it was already struggling for space.Seeking directions to the NGO to vacate, the DME claimed the NGO had not registered itself with the state mental health authority and also did not possess basic facilities for a mental health centre. Justice A Abhishek Reddy reserved his orders after hearing both sides.
Cleanliness in MTH Women’s Hospital built at a cost of 50 crores in Indore, doctors and patients are troubled by foul smell
17.06.2022
एनएमसीएच में एक लैब टेक्नीशियन व एक जीएनएम की छात्रा के कोरोना पॉजिटिव होने से अस्पताल प्रशासन सतर्क हो गया है। दोनों को होम क्वारेंटाइन कर दिया गया है। प्राचार्य डॉ. एचएल महतो ने इसकी पुष्टि की है। एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ मुकुल कुमार सिंह ने बताया कि दोनों में बीमारी का लक्षण पाए जाने पर डॉक्टर की सलाह पर आरटीपीसीआर जांच कराई गई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। यह हालात तब हैं, जब एमजीएम मेडिकल कॉलेज अपने अस्पतालों की सफाई और सुरक्षा सहित मेंटेनेंस पर हर माह एक करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करता है। 500 बेड के एमटीएच महिला अस्पताल का प्रोजेक्ट केंद्र सरकार नमंजूर किया था। इसे पूरा होने में 50 करोड़ रुपए खर्च हुए। इसे शुरू हुए ज्यादा समय भी नहीं हुआ फिर हर छोटी-मोटी समस्या के लिए बार-बार पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों को बुलाते हैं।पिछले दिनों यहां पर ऑपरेशन इसलिए कैंसल किए गए थे, क्योंकि ओटी की नाली चोक हो गई थी। स्थिति अभी भी ऐसी ही है। यहां न ब्लड बैंक शुरू हो पाया और न स्टोरेज यूनिट बन पाई। मरीजों, उनके परिजन को विभिन्न तरह की जांच के लिए बार-बार एमवायएच की दौड़ लगाना पड़ती है।लगातार शिकायतें मिलने पर चोक हुई नाली व ड्रेनेज ठीक कर दी जाती है, लेकिन कुछ दिन बाद फिर वही स्थिति बन जाती है। फिलहाल इस अस्पताल में 250 कर्मचारी हैं, अव्यवस्था देखकर तो यही लगता है कि ये भी कम पड़ने लगे हैं। नया अस्पताल होने से इसके लिए कोई बजट आवंटित नहीं किया गया है, यह भी कारण है कि यहां व्यवस्थाएं बिगड़ी हुई हैं।एमटीएच पहली बारिश ही नहीं झेल पाया था। निर्माण का जिम्मा प्लानिंग इम्प्लीमेंटेशन यूनिट (पीआईयू) को दिया गया था। इसने बिल्डिंग बनाने में ही सात साल से ज्यादा समय लगा दिया। काम की गुणवत्ता देखें तो पहली बारिश में ही तलघर में पानी भर गया था और लिफ्ट बंद करनी पड़ी थी। डेढ़ माह बाद फिर समस्याओं की बाढ़ आ गई। ठीक तरह से प्लंबिंग न होना भी यहां बड़ी समस्या है। जब मरीज शिकायत करते हैं तो पीडब्ल्यूडी को सूचना दे दी जाती है।
Seminar on health was organized in the IMS department of Devi Ahilya University in Indore, the program honored the students of IMS who provided courageous health services during the time of Covid-19.
17.06.2022
देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के आईएमएस विभाग में स्वास्थ्य विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में आईएमएस के उन वर्तमान और पूर्व स्टूडेंटों का सम्मान किया गया जिन्होंने कोविद के समय साहसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए काम किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ताओं ने जन स्वास्थ्य में उभरते रुझान, स्वास्थ्य व्यवस्था की मजबूती और जन स्वास्थ्य विषय पर अपनी बात रखी।कार्यक्रम में कुलपति रेणू जैन ने कहा कि कोविद की वजह से हमने बहुत से प्रोफेसर और कर्मचारी अधिकारियों को खोया है। लेकिन यूनिवर्सिटी के बच्चों ने कोरोना काल में अच्छा काम किया है। मुझे इस पर गर्व है। वहीं एमजीएम के डॉ. संजय दीक्षित ने कहा कि सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं पर मैनेजमेंट के बच्चों को ज्यादा से ज्यादा काम करना चाहिए। वहीं हेल्थ अफोर्डेबल और एक्सेप्टेबल होना चाहिए।सीएमएचओ ने स्टूडेंट से बात करते हुए कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में हर किसी ने अपने किसी ना किसी को खोया है। लोगों को पब्लिक हेल्थ सिस्टम से उम्मीद नहीं थी। लेकिन हमने कोरोना की दूसरी लहर में ज्यादा अच्छे से काम कर खुद को साबित किया है। इंदौर ने कोरोना वैक्सीनेशन में भी टॉप किया है।