Dr. Ashish Tomar, Senior Consultant of Orthopedics and Spinal Surgery of Sarvodaya Hospital, Faridabad and his team achieved success by straightening the patient’s crooked spine by performing spine deformity surgery.
24.06.2022
मरीज की रीढ़ की हड्डी का झुकाव बड़ा था और सीधा सर्जरी करने से मरीज को पैरालिसिस होने का खतरा था। इस लिए मरीज को भर्ती कर स्पाइनल ट्रैक्शन में 7 दिन तक रखा गया। -इससे रीढ़ की हड्डी के आसपास के सॉफ्ट टिश्यूस को ढीला करने में मदद मिलता है और झुकाव भी कम करता है| ट्रैक्शन से उसके झुकाव को 80 डिग्री तक सही किया गया। इसके बाद सर्जरी की गई।
मेवात की रहने वाली 12 वर्षीय दीपांशी को रीढ़ की हड्डी में एक दुर्लभ और गंभीर विकृति थी। जिससे उसकी पीठ 7 साल की उम्र से ही सामान्य स्पाइनल झुकाव के मुकाबले लगातार झुकती जा रही थी। सर्वोदय हॉस्पिटल फरीदाबाद के आर्थोपेडिक्स एवं स्पाइनल सर्जरी के सीनियर कंसलटेंट डा.आशीष तोमर व उनकी टीम ने एडवांस्ड स्पाइन डिफॉर्मिटी सुधार सर्जरी की मदद से उसकी रीढ़ की हड्डी को सफलतापूर्वक पहले जैसा कर दिया। दीपांशी के माता-पिता ने पहली बार इस समस्या को 5 साल पहले पहचाना था। जब उन्होंने देखा कि उसकी पीठ झुकती जा रही थी और एक असामान्य झुकाव का आकार लेती जा रही थी। उम्र के साथ उसकी रीढ़ की हड्डी का झुकाव बढ़ता गया और 2 वर्षों में इसकी तेज़ी से वृद्धि हुई| डा. तोमर ने बताया कि बच्चे को जुवेनाइल इडियोपैथिक स्कोलियोसिस बीमारी से पीड़ित पाया गया। जो दुर्लभ है, पर इलाज न होने पर जीवन के लिए खतरा बन सकता था। एक सामान्य रीढ़ की हड्डी का झुकाव 0 डिग्री होता है लेकिन 60 डिग्री से अधिक झुकाव ज़िन्दगी भर बढ़ता जाता है। दीपांशी की रीढ़ की हड्डी का झुकाव 120 डिग्री था।छोटे झुकाव के लिए ब्रेसिंग एक विकल्प है, पर 60 डिग्री से अधिक के झुकाव के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। एक वर्ष में मरीज की कमर का झुकाव 40 डिग्री बढ़ा। वह पहले से ही रेस्ट्रिक्टिव पल्मोनरी डिजीज से पीड़ित थी और इलाज में किसी भी तरह की देरी से उसकी जान को खतरा हो सकता था। डॉ. तोमर के अनुसार उसकी रीढ़ की हड्डी का झुकाव बड़ा था और सीधा सर्जरी करने से मरीज को पैरालिसिस होने का खतरा था। इस लिए मरीज को भर्ती कर स्पाइनल ट्रैक्शन में 7 दिन तक रखा गया।जो रीढ़ की हड्डी के आसपास के सॉफ्ट टिश्यूस को ढीला करने में मदद करता है और झुकाव भी कम करता है| ट्रैक्शन से उसके झुकाव को 80 डिग्री तक सही किया गया। इसके बाद सर्जरी की गई। सर्जरी के परिणामस्वरूप 75 फीसदी डिफॉर्मिटी में सुधार हुआ। इसके तहत कमर का एंगल 120 डिग्री से 46 डिग्री हो गया और मरीज सर्जरी के अगले दिन से चलने में सक्षम हो गया। हॉस्पिटल के चेयरमैन डा.राकेश गुप्ता ने इलाज की सर्वोत्तम तकनीक और प्रौद्योगिकी के कारण यह संभव हो पाया है।
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