राजकीय स्वास्थ्य केंद्रों की कायाकल्प, गुणवत्ता आश्वासन एवं ‘लक्ष्य’ कार्यक्रम गतिविधियों की समीक्षा कार्यशाला का हुआ आयोजन
जयपुर में, 12 जून 2019 को एनएचएम, यूएनएफपीए एवम यूनिसेफ के सयुंक्त तत्वावधान में एक दिवशीय कायाकल्प, गुणवत्ता आश्वासन की कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला का शुभारंभ चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा ने किया एवं केंद्रीय मिशन निदेशक एनएचएम श्री मनोज झालानी ने अध्यक्षता की।
कार्यशाला में सभी संभागों के संयुक्त निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य, समस्त जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जिला अस्पतालों के प्रमुख चिकित्सा अधिकारियों व एनएचएम और एनयूएचएम के जिला कार्यक्रम प्रबंधकों ने भाग लिया। इस कार्यशाला में राजकीय चिकित्सा संस्थानों में उपलब्ध संसाधनों जैसे – चिकित्सीय उपकरणों, मानव मानव संसाधनों सहित निशुल्क दवा- निशुल्क जांच एवं मेडिकल एंड हेल्थ मैनेजमेंट को और अधिक सुदृढ़ करने पर विस्तार से मंथन किया गया। इस अवसर पर उत्कृष्ट कायाकल्प प्राप्त करने वाले चिकित्सा संस्थानों को पुरस्कृत कर उनके अनुभव भी साझा किए गए।
प्रदेश के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों पर राज्यस्तरीय मॉनिटरिंग दलों द्वारा किए गए निरीक्षण के आधार पर वहां की गुणवत्तापूर्ण उपलब्ध करवाई जा रही स्वास्थ्य सेवाओं साफ सफाई प्रबंधन कार्यों की विस्तार से चर्चा की गई।
केंद्रीय मिशन निदेशक एनएचएम श्री मनोज झालानी ने कहा कि राजस्थान प्रोग्रेसिव स्टेट है और पिछले सालों की तुलना में यहां स्वास्थ्य की दृष्टि से खासा सुधार हुआ है लेकिन फिर भी और अधिक सुधार की गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि मेडिकल स्टाफ पूरी तरह प्रशिक्षित हो, आमजन के साथ अच्छा व्यवहार हो, रैफरल सुविधा मजबूत हो, सिटीजंस को एम्पावर किया जाए, पेशेंट केयर सेंटर बने, समुदाय को एंगेज किया जाए तो परिणाम और भी बेहतर आ सकते हैं। हालांकि यह मुश्किल जरूर है लेकिन नामुमकिन नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य यदि राइट टू हैल्थ कानून पर काम कर रहा है तो उसमें मिनिमम क्वालिटी को भी जरूर शामिल करे। उन्होंने कहा कि हर स्तर पर बदलाव होने लगेगा तो राज्य में गुणवत्ता युक्त सेवाएं दे सकेंगे।
मिशन निदेशक एनएचएम श्री समित शर्मा ने पिछले दिनों में 56 चिकित्सा संस्थानों पर स्वयं के द्वारा किए दौरों के बारे में विस्तार से बताया। इस दौरान अस्पतालों में पाई खूबियों और खामियों को भी गिनाया। उन्होंने कहा कि कमियां हर जगह, हर संस्थान में होती हैं लेकिन बदलाव कभी भी कहीं से भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि यदि बदलाव की शुरूआत आपके जरिए होती है तो इससे आपका जीवन भी बदल जाएगा। उन्होंने कहा कि डाॅक्टर्स को धरती का भगवान कहा जाता है, ऐसे में आमजन की उम्मीदें भी उनके कहीं अधिक होती हैं। ऐसे में सभी डाॅक्टर्स अपनी भूमिका समझें समय पर अस्पताल आएं, मरीजों से अच्छा व्यवहार करें और उन्हें गुणवत्ता चिकित्सा उपलब्ध कराने का हरसंभव कोशिश करें।
इस अवसर पर अतिरिक्त मिशन निदेशक श्री एसएल कुमावत, निदेशक जनस्वास्थ्य डाॅ. वी.के.माथुर, निदेशक आरसीएच डाॅ. श्रीराम मीणा, स्टेट नोडल ऑफिसर डॉ रामबाबू जैसवाल, यूएनएफपीए के डाॅ. सुनील थाॅमस, यूनिसेफ की शुलग्ना व चाइल्ड एस्पेशलिस्ट डॉ अनिल अग्रवाल व अन्य अधिकारीगण मौजूद थे।
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राजकीय चिकित्सालयों में गुणवत्तापूर्ण बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं सुनिष्चित करना प्रत्येक कार्मिक का दायित्व है, राजकीय क्षेत्र में संसाधनों की कोई कमी नहीं और मात्र स्थानीय प्रबंधन सुधार कर करेंगे स्वास्थ्य संस्थानों का कायाकल्प…‘‘
डाॅ.समित शर्मा, मिषन निदेषक एनएचएम राजस्थान ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए कायाकल्प कार्यषाला में दिये महत्वपूर्ण प्रेरणादायी टिप्स:-
1. राजकीय स्वास्थ्य केन्द्रों में सेनेटरी नैपकिन, ई-मित्र प्लस कियोस्क इलेक्ट्रोनिक मषीनों की देखरेख रखी जाये। मरम्मत की आवष्यकता पड़ते ही तुरंत रिपेयरिंग कराके आमजन के लिए उपयोग योग्य बनाया जाये।
2. मुख्यमंत्री निःषुल्क दवा और मुख्यमंत्री निःषुल्क जांच योजनाएं, जनकल्याणकारी योजनाएं हैं एवं निर्धारित दवाइयां, सूचर्स इत्यादि औषधियां व जांच सुविधाएं नियमानुसार प्रत्येक लाभार्थी के लिए सुनिष्चित की जायें।
3. जिला चिकित्सालयों में संचालित एस.एन.सी.यू. इकाइयां आधुनिक मषीनों से युक्त हैं और कम वजन वाले व समयपूर्व जन्मे नवजात षिषुओं के उपचार के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं, इनका प्रबंधन बनाये रखा जाये। इसी अनुरूप चिकित्सालयों में ओ.पी.डी., आई.पी.डी. और लैबररूम इत्यादि सेवा स्थल भी साफ-स्वच्छ, व्यवस्थित और उपयोगी बनाये रखने के प्रयास स्वास्थ्य केन्द्र स्थल पर प्राथमिकता के साथ नियमित जारी रखे जायें।
4. उत्कृष्ट स्वास्थ्य कार्मिकों की सेवाओं की प्रषंषा की जाये, उनके सराहनीय योगदान के लिए उन्हें पुरस्तकृत किया जाये साथ ही अपने दायित्वों/कार्याें के प्रति लापरवाही कार्मिकों को मोटीवेट कर उनका सक्रिय सहयोग लिया जाये।
5. स्वास्थ्य केन्द्रों पर समस्त चिकित्सा अधिकारी/कार्मिक परिचय सहित निर्धारित गणवेष में ड्यूटी समय पर मौजूद रहें।
6. कोई स्टाफ यदि अवकाश पर हो तो उसकी सूचना अटेंडेंस रजिस्टर में अवश्य उल्लेखित हो।
7. स्वास्थ्य केंद्र की साफ सफाई स्वास्थ्य सेवाएं शुरू होने के समय से पूर्व पूरी करवा ली जाएं।
8. इन डोर उपचार सेवा देने वाले चिकित्सालयों में उपलब्ध इंडोर उपचार संसाधनों का समुचित उपयोग करें जिन मरीजों को भर्ती कर उपचार करना आवश्यक हो उन्हें अवश्य आईपीडी में भर्ती कर उपचार करें।
9. स्वास्थ्य केंद्र का संपूर्ण स्टाफ निर्धारित समय पर प्रतिदिन स्वास्थ्य केंद्र पर उपस्थित होना मरीजों के लिए बहुत उपयोगी है।
10. न्यूबॉर्न केयर यूनिट के सभी एनबीएसयू को फंक्शनल बनाया जाए साथ ही ऑपरेशन थिएटर का उपयोग निश्चित किया जाए।
11. राजकीय स्वास्थ्य केंद्रों पर आने वाली गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लोबिन की कमी से संबंधित उपचार हेतु आवश्यक आयरन सुक्रोज का लाभ गर्भवतियों को दिया जाना बहुत प्रशंसा की बात है।
12. जिन जिलों में डिलीवरी प्वाइंट्स है वहां के अधिकारियों का यह मानवीय दायित्व है की उस क्षेत्र की प्रसूता ओं को प्रसव संबंधी निशुल्क सेवाएं इन पॉइंट्स पर बिना किसी परेशानी के उपलब्ध हो सके।
13. राजकीय स्वास्थ्य केंद्रों पर ओपीडी उपचार की सुविधाएं आने वाले मरीजों को प्रात काल और सांध्य कालीन समय में अवश्य उपलब्ध करवाएं।
14. क्वालिटी के जिन 18 मापदंडों पर हम अभी चर्चा करेंगे उनकी पालना सुनिश्चित कर हम लाखों जाने बचा सकते हैं।
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