Ministry of Health and Family Welfare has found a way to check the sale of counterfeit medicines, now by scanning the QR, it will be known whether you are buying genuine medicine or fake
29.06.2022
नकली दवाओं की बिक्री पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने दवा बनाने में इस्तेमाल होने वाली एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स (एपीआई) पर क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य कर दिया है। इस क्यू आर कोड स्कैन से बुखार, कैल्शियम, सीने में दर्द, खांसी, कैंसर, पेन किलर, विटामिन, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, गर्भनिरोधक, यूरीन इंफेक्शन, एंटीबायोटिक समेत 300 तरह की दवाओं और इंजेक्शन की आसानी से पहचान हो सकेगी। इस बार कोड से नकली दवा स्कैन नहीं हो पाएगी। केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने दवा बनाने में इस्तेमाल होने वाली एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स (एपीआई) पर क्यूआर कोड अनिवार्य करने का गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है।
संदेह होने पर नमूने ले सकेगा औषधि विभाग
अभी दवाओं के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती। अब दवा कंपनियों को अलग-अलग क्यूआर कोड बनाने होंगे। संदेह पर विभाग सैंपल लेगा और कार्यवाही करेगा।केन्द्र ने एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स (एपीआई) पर क्यूआर कोड अनिवार्य किया है। गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। बार कोड स्कैन करने पर जानकारी मिल जाएगी। -अजय फाटक, ड्रग कंट्रोलरबड़ी कंपनियों के नाम से नकली दवाएं हूबहू रैपर में बेची जाती हैं। {नकली दवाओं से सेहत सुधरने की बजाय और खराब होती है।
ट्रायल के तौर पर 300 दवाओं पर क्यूआर कोड लगाने की तैयारी।
उत्पाद कोड, ब्रांड, बैच, निर्माता कंपनी का नाम, निर्माण तारीख और एक्सपायरी, लाइसेंस की जानकारी।
प्राइसिंग अथॉरिटी की ओर से पहचाने गए ब्रांड भी शामिल।
डोलो, सेरिडोन फैबीफ्लू, इकोस्प्रिन, लिमसी, सूमो, कॉलपोल, कोरेक्स सिरप को भी इस कैटेगिरी में रखा गया है।
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