The matter related to the seniority of rural Ayurveda doctors, Rajasthan High Court, Jodhpur imposed interim stay on DPC

28.06.2022
राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ के जस्टिस अरूण भंसाली ने आयुर्वेद विभाग में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी ग्रेड द्वितीय के पदों पर पदोन्नति (Departmental Promotion Committee) करने पर अंतरिम रोक लगाते हुए जवाब के लिए समय दिया है।कोर्ट ने कहा कि विभाग की ओर से जारी अंतिम वरीयता सूची के आधार पर अग्रिम आदेश तक डीपीसी नहीं (Interim stay on DPC by High court) करें। अगली सुनवाई 11 जुलाई को मुकरर्र की गई है।याचिकाकर्ता डॉ. जितेन्द्र कुमावत व अन्य की ओर से अधिवक्ता खेत सिंह राजपुरोहित ने पक्ष रखते हुए कहा कि आयुर्वेद विभाग में वर्ष 2013 में ग्रामीण आयुर्वेद चिकित्सक पद पर विभाग के 2008 के नियमों के तहत भर्ती हुए अभ्यर्थियों ने आयुर्वेद विभाग की ओर से गत 23 मई को जारी अस्थायी वरीयता सूची को चुनौती दी है। कोर्ट में बताया कि वर्ष 2017 में विभाग ने कैडर रिव्यू करते हुए उनके पद आयुर्वेद चिकित्सक के कैडर में समायोजित कर दिए तथा वर्ष 2008 के नियमों के अनुसार कार्रवाई आरंभ की जो अभी भी लंबित है। इसी बीच अस्थायी वरीयता सूची जारी कर दी गई। लेकिन उसमें 2008 के नियमों से भर्ती आयुर्वेद चिकित्सकों को शामिल नहीं किया गया और आपत्ति के बावजूद विभाग अंतिम वरीयता सूची जारी करने जा रहा है।

हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अध्यापक की डीपीसी में अनियमितता को लेकर मांगा जवाब
उसके अनुसार वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी ग्रेड द्वितीय के पदों पर पदोन्नति के लिए विभागीय पदोन्नति समिति का गठन करने जा रहा है। ऐसी स्थिति में याचीगण जो ग्रामीण आयुर्वेद चिकित्सक नियुक्त हुए एवं जब उनके पदों को आयुर्वेद चिकित्सक के पदों पर मर्ज कर दिया। उन्हें वरीयता सूची में शामिल नहीं करने का कोई कारण नहीं है।करीब 810 आयुर्वेद चिकित्सकों को वरीयता सूची से बाहर रखा गया है जो विधि विरुद्ध है. उनकी वरीयता पूरी तरह से प्रभावित हो जाएगी. राज्य सरकार की ओर से एएजी अनिल गौड ने कहा कि अंतिम वरीयता सूची पहले ही जारी की जा चुकी है। उन्होंने जवाब के लिए समय चाहा, जिस पर कोर्ट ने समय देने के साथ डीपीसी पर रोक लगा दी।

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