सैकड़ों चिकित्सक बेरोजगार, नहीं निकलेगी कोई भर्ती
राजस्थान में एक जमाना था जब हजार चिकित्सकों कि भर्ती परीक्षा होती तो पांच सौ चिकित्सक परीक्षा देने आते थे, फिर पदस्थापन के बाद करीब चार सौ लोग उस जगह पर जाने का मन बनाते थे, जगह पर जाने के बाद वहां के हालातों से जूझने के बाद करीब सौ लोग भाग खड़े होते थे और तीन सौ चिकित्सक ही सेवा देते थे, उस समय पैसा भी कम मिलता था, समय के साथ सेलरी बढ़ी जो कि आज के दिन नियुक्ति के प्रथम माह में 56100/- है, प्रोबेशन भी एक साल का है उसके बाद स्थाई हो जाने पर सेलरी काफी बढ़ जाती है, साथ ही सेवारत चिकित्सकों को सेवाकाल के अनुसार उच्च शिक्षा (पीजी) में नीट परीक्षा के प्राप्तांकों पर 10-20-30% बोनस अंकों की व्यवस्था भी है, यानी नौकरी अच्छी है |
पिछले कुछ सालों में इसी कारण भर्तियों में भीड़ बढ़ गयी और चयन मुश्किल होने लगा, पदस्थापन में भी दिक्कतें आने लगी, आज के दिन राजस्थान में हालात ये हैं कि चिकित्सा अधिकारीयों के स्वीकृत पद 6200 हैं और प्रदेश में कार्यरत चिकित्सा अधिकारीयों की संख्या 7500 है, ये अतिरिक्त चिकित्सक UTB (Urgent Temporary Basis) वाले हैं, देखें तो हालात ये हैं कि आगामी कई वर्षों तक राजस्थान सरकार को चिकित्सा अधिकारीयों की कोई भी भर्ती नहीं निकालनी है |
बहुत से नए चिकित्सक MBBS करने के उपरांत इंतजार कर रहे हैं कि कब सरकारी सेवा की राह खुले और वे सेवा में आवें लेकिन राह कठिन है |
विकल्प –
- स्वीकृत चिकित्सा अधिकारीयों के पद 6200 से बढाकर 10000 किये जावें एवं भर्ती निकाली जावे |
- करीब 1500 चिकित्सा अधिकारीयों की पदोन्नति वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी के पद पर होनी करीब एक साल से बकाया है, अगर इनकी पदोन्नति हो जाए तो ये MO के 1500 पद खाली हो जायेंगे और भर्ती की राह खुलेगी, लेकिन सरकार पदोन्नति करने में असफल रही है, कारण पता नहीं |
- UTB पर कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी ज्वाइन की जा सकती है लेकिन वो रिक्त पदों पर ज्वाइन करवाते हैं, जिनकी संख्या भी काफी कम है |
देखना दिलचस्प रहेगा कि कम चिकित्सकों का रोना रोने वाली सरकार हजारों बेरोजगार चिकित्सकों को कैसे रोजगार देती है और प्रदेश कि ग्रामीण जनता को चिकित्सा व्यवस्थाएं मुहैया करवाती है |
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