All India Institute of Medical Sciences (AIIMS), Raipur, 45 patients of uterine cancer coming daily, 15 colposcopy examination
14.07.2022
विशेषज्ञों ने बढ़ते गर्भाशय कैंसर की रोकथाम के लिए कोलपोस्कोपी के अधिक से अधिक उपयोग पर जोर दिया है। एम्स के स्त्री रोग विभाग की ओपीडी में प्रतिदिन औसतन 45 संदिग्ध गर्भाशय कैंसर के रोगी पहुंचते हैं। इनमें से करीब 15 की प्रतिदिन कोलपोस्कोपी जांच की जाती है।एम्स की डीन (अकादमिक) प्रो. सरिता अग्रवाल ने बताया, एम्स में 25 वर्ष से अधिक आयु की विवाहित महिलाओं की नियमित गर्भाशय की जांच की जाती है। इससे समय पर इसका पता लगाकर उपचार शुरू किया जा सके। उन्होंने कहा कि यदि गर्भाशय के मुहाने पर कोई भी संदिग्ध सेल मिलती है या अनियमित रूप से रक्त प्रवाह पाया जाता है तो कोलपोस्कोपी जांच की जा सकती है।
कोलपोस्कोपी एक कारगर तकनीक: एम्स के स्त्री रोग विभाग और फोग्सी के अंतर्गत रायपुर आब्स एंड गायनी सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में ‘स्वस्थ सुंदर नारी, प्रीवेंटिंग द प्रीवेंटिबल’ विषय पर आयोजित सीएमई का उद्घाटन करते हुए निदेशक प्रो. डॉ. नितिन एम. नागरकर ने कहा, एम्स नई तकनीक को प्रदेश के सभी डॉक्टरों तक पहुंचाने के लिए सतत प्रयासरत है। इस दिशा में स्त्री रोग विभाग की ओर से आयोजित कोलपोस्कोपी कार्यशाला प्रदेश के डॉक्टरों को इसकी सहायता से उपचार करने और महिलाओं के गर्भाशय कैंसर की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि गर्भाशय कैंसर के बढ़ते रोगियों को देखते हुए कोलपोस्कोपी एक कारगर तकनीक बन सकती है।
सीएचसी स्तर पर भी की जा सकती है कार्यशालारायपुर सीएमएचओ डॉ. मीरा बघेल ने कहा ऐसी कार्यशालाएं सीएचसी स्तर पर भी आयोजित की जा सकती हैं। इससे प्रदेश के प्रत्येक भाग में यह जांच आसानी से उपलब्ध हो सके। गायनी आंकोलॉजी कमेटी की अध्यक्ष डॉ. प्रिया गणेश कुमार ने सीएमई में करीब सौ प्रतिभागियों को लाइव डेमोस्ट्रेशन से कोलपोस्कोपी जांच की मदद से गर्भाशय कैंसर की पहचान और इसके बाद इलाज के बारे में जानकारी प्रदान की।
सीएमई में डॉ. तब्बसुम डाला, डॉ. मोनिका पाठक, डॉ. पुष्पावती और डॉ. नीलज बागडे ने भी भाग लिया।
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