In the Medicine Department of Chhattisgarh Institute of Medical Sciences (SIMS), the capacity to admit patients is 150 beds, but 225 patients are admitted.

07.07.2022
छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान यानी सिम्स के मेडिसिन डिपार्टमेंट के पास मरीजों को भर्ती करने की क्षमता 150 बेड की है, लेकिन यहां फिलहाल 225 मरीज भर्ती हैं। इनमें सिर्फ सर्दी या बुखार के ही नहीं निमोनिया, पीलिया, लीवर, ब्लड प्रेशर और शुगर के भी मरीज शामिल हैं। डॉक्टर और स्टाफ की कमी के चलते यहां ऐसे हालात बन गए हैं कि मरीजों को इलाज के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। एक नर्स 30 पेशेंट को संभाल रही है। इसके बावजूद बड़े अधिकारी यहां व्यवस्था बनाने पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।मेडिसिन की ओपीडी में हर दिन बड़ी संख्या में मरीज पहुंच रहे। रोज 15 से 20 मरीज सर्दी खांसी के और बाकी अन्य समस्या लेकर यहां आते हैं। अब दिक्कत यह आने लगी है कि मरीजों को भर्ती कहां करें? क्योंकि इस डिपार्टमेंट में ना तो उस तरह से बिस्तरों की सुविधा है और ना ही डॉक्टर व स्टाफ की। यही कारण है कि किसी को दूसरे विभाग के बेड पर रखकर इलाज करना पड़ रहा है।डॉक्टरों का कहना है कि वे मरीजों को लौटा नहीं सकते, इसलिए इस कंडीशन में इलाज करना उनकी मजबूरी है। सिम्स प्रबंधन ने शासन को स्टाफ बढ़ाने और सुविधाएं देने का प्रस्ताव भेजा, लेकिन अभी तक वहां से ना तो डॉक्टर और ना स्टाफ नर्स के अलावा अन्य पदों पर भर्ती की मंजूरी मिली है। जिसके कारण सिम्स में मरीजों को उचित तरह से इलाज नहीं मिल पा रहा है। इसलिए मरीजों को ऑर्थोपेडिक वार्ड और दूसरी जगह भर्ती कर इलाज किया जा रहा है।

एक नर्स 30 को इंजेक्शन लगा रही
सिम्स में मरीजों की संख्या जिस तेजी से बढ़ती चली जा रही है उस तेजी से सुविधा नहीं मिल रही। एक स्टाफ नर्स दिनभर में रोजाना 30 लोगों को इंजेक्शन लगाती हैं। इससे ही उनके कमर में दर्द उठने लगा है। डॉक्टर और पूरा स्टाफ जिस हालात में यहां काम कर रहे हैं उससे उन्हें ही समस्याएं शुरू हो रही है। फिर भी नए डॉक्टर और नर्स सहित अन्य स्टाफ की भर्तियां नहीं हो रही है।

हमने स्टाफ बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा है
सिम्स में जिस तरह से मरीजों की भीड़ आ रही है उसके हिसाब से नर्सिंग स्टाफ कम है। हमने नई भर्तियों के लिए प्रस्ताव भेजा है। जैसे ही शासन से मंजूरी मिलेगी, प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। जहां जिस वार्ड में अव्यवस्था है, दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। -डॉ. नीरज शेंडे, मेडिकल सुपरिटेंडेंट, सिम्स

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