Government hospitals of Bhopal spent about Rs 6 crore in the name of their own software citing the convenience of patients
13.07.2022
शहर के सरकारी अस्पताल मुफ्त की कोई भी चीज पसंद नहीं करते। यही वजह है कि अस्पतालों का कामकाज निर्धारित करने के लिए केन्द्र के मुफ्त के पोर्टल का उपयोग नहीं करना चाहते। शहर के सरकारी अस्पतालों ने मरीजों की सुविधा का हवाला देकर खुद के सॉफ्टवेयर के नाम पर करीब 6 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। हमीदिया से लेकर एम्स और अन्य सरकारी अस्पतालों ने राशि तो खर्च कर दी, लेकिन अपने स्तर पर जो पोर्टल तैयार कराए वे फिलहाल तो काम नहीं कर रहे।
हमीदिया अस्पताल: खर्च किए 2.5 करोड़ रुपए:
हमीदिया में तीन साल पहले हेल्थ इंफॉर्मेशन एंड मैनेजमेंट सिस्टम को लागू किया था। दावे हुए थे कि पूरे काम ऑनलाइन होंगे। यही नहीं इस सॉफ्टवेयर को सरकारी एजेंसी 25 लाख में तैयार कर रही थी, लेकिन प्रबंधन ने निजी एजेंसी को 2.5 करोड़ रुपए दे दिए। इसके बावजूद अब तक सॉफ्टवेयर तैयार नहीं है।
एम्स:फर्जीवाड़ा ऐसा कि हो गई जांच
एम्स भोपाल में भी सॉफ्टवेयर के निर्माण के दौरान फर्जीवाड़ा हुआ। एम्स प्रबंधन ने अपने सॉफ्टवेयर निर्माण के लिए सरकारी एजेंसी को 86 लाख रुपए जारी किए, लेकिन चार साल तक सॉफ्टवेयर का निर्माण नहीं हो पाया। इसके बाद एम्स मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने निजी एजेंसी को सॉफ्टवेयर का ठेका दे दिया।
अन्य अस्पतालों में भी खुद के सॉफ्टवेयर फेल:
जेपी अस्पताल में भी सॉफ्टवेयर तैयार किए गए। उस दौरान यह प्रचारित किया गया कि प्रदेश का पहला अस्पताल जहां मिलेगी कतारों से आजादी, लेकिन स्थिति अब भी वैसी ही है। वहीं गैस राहत विभाग के सभी अस्पतालों और बीएमएचआरसी में भी सॉफ्टवेयर तैयार किए गए, जो अब तक अधूरे ही हैं।
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