Due to corrupt officials and careless system in Delhi, patients were given fake Remdesivir for almost 6 months (June 21 to December 21). Uncovering this game of corruption, the investigation team uncovered the layers of the case.
27.06.2022
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान रेमडेसिविर इंजेक्शन संकटमोचक बन गया था, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों और लापरवाह सिस्टम के कारण करीब 6 महीने (जून 21 से दिसंबर 21) तक मरीजों को नकली रेमडेसिविर लगते रहे। भ्रष्टाचार के इस खेल का खुलासा तब हुआ, जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शिकायतकर्ता विवेक गवारे की शिकायत पर जांच टीम बनाई और मामले की परतें उधेड़ीं।जांच में सामने आया कि जून 2021 को पंजाब पुलिस ने रोपड़ से नकली रेमडेसिवर इंजेक्शन की खेप पकड़ी थी। पुलिस ने इसके सैंपल जांच के लिए हिमाचल की बद्दी लैब भेजे। वहां से ये सैंपल कोलकाता स्थित सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेटरी (CDL) में भेज दिए गए।जांच में CDL ने पाया कि इनमें रेमडेसिविर ड्रग है ही नहीं यानी ये नकली हैं। ये रिपोर्ट तुरंत भेजने के बजाए लैब दिसंबर 21 तक दबाए रही और नवंबर 21 में इंजेक्शन एक्सपायर हो गए, ताकि नए सैंपल न लिए जा सकें।
सीडीएल के हर विभाग ने कैसे-कैसे अड़ंगे लगाकर रिपोर्ट लटकाए रखी
जून 2021 को सेंट्रल ड्रग्स लैब (सीडीएल) में सैंपल पहुंचने के बाद इन्हें फार्मास्युटिकल केमिस्ट्री डिपार्टमेंट (PCD) को भेजा गया। पीसीडी में जांच के सभी साधन नहीं थे, इसलिए उसने सैंपल सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन रूम डिपार्टमेंट (CIRD) को भेज दिए।नियमानुसार, सैंपल की जांच अल्ट्रा परफॉर्मेंस लिक्विड क्रोमेटोग्राफी (UPLC) से होनी चाहिए थी। मगर सीआईआरडी प्रमुख नंदिता साहा ने बिना कोई टिप्पणी और यूपीएलसी जांच किए ये सैंपल पीसीडी को वापस भेज दिए। फिर पीसीडी प्रमुख ने 25 जून 2021 को रिपोर्ट सैंपल सेक्शन को भेज दी। ड्रग इंस्पेक्टर ने इन सैंपल के सेफोपेराजोन सोडियम टेस्ट के लिए भी कहा था, जिसे पीसीडी अपने स्तर पर कर सकता था, लेकिन 22 दिन सैंपल रखने के बाद भी नहीं किया।सैंपल सेक्शन ने आगे जांच के लिए रिपोर्ट सीआईआरडी को भेज दी। 8 जुलाई 2021 को सीआईआरडी ने बताया कि इनमें रेमडेसिविर नहीं है और ये नकली हैं, लेकिन सैंपल सेक्शन 89 दिनों तक ये रिपोर्ट अपने पास रखे रहा। 7 सितंबर 2022 को बायोकेमिस्ट्री डिपार्टमेंट को भेजी।सीडीएल निदेशक ने इसमें यह भी बताया कि पीसीडी प्रमुख ने फाइनल रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया है, क्योंकि उनका कहना है कि हमने कोई टेस्ट किया ही नहीं। सीआईआरडी प्रमुख ने भी फाइनल रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं किए। उनका कहना था कि वे प्रिंसिपल रिसीपेंट नहीं हैं।इसके बाद सीडीएल निदेशक ने पीसीडी प्रमुख को निर्देश दिए कि ड्रग इंस्पेक्टर के अनुरोध के मुताबिक वे सैंपल का सेफोपेराजोन सोडियम टेस्ट करें। 29 नवंबर 2021 को पीसीडी ने यह टेस्ट करके रिपोर्ट सैंपल सेक्शन को भेज दी। चूंकि पीसीडी और सीआईआरडी प्रमुख ने फाइनल रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था, इसलिए सीडीएल निदेशक ने तीसरे सरकारी विश्लेषक के रूप में बायोकेमिस्ट्री विभाग के प्रमुख को फाइनल रिपोर्ट भेजी, ताकि वे हस्ताक्षर कर दें।
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