Diphtheria’s havoc in Alwar district, patients are getting continuously

19.07.2022
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले में डिप्थीरिया के मामले रोकने के लिए लगातार टीकाकरण का दावा किया जा रहा है, लेकिन जिले में लगातार डिप्थीरिया के मरीज मिल रहे हैं। इससे पहले वर्ष 2016 और 2020 में भी डिप्थीरिया के मरीज लगातार मिल चुके हैं। इससे अभी तक 13 से ज्यादा बच्चों की मौत भी हो चुकी है। इस साल अभी तक 13 मामले सामने आ चुके हैं। इस बीमारी का पीक सीजन शुरू हो चुका है, यदि टीकाकरण करवाने में लापरवाही बरती गई तो मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है। गौरतलब है कि सरकारी अस्पताल में जितने मरीज इलाज ले रहे हैँ उससे कई गुना मरीज निजी चिकित्सालयों में पहुंच कर इलाज ले रहे हैं। जिनका रिकार्ड भी नहीं है।ज्यादातर मामले तिजारा, किशनगढ़, मालाखेडा, अलवर शहर, रामगढ़ से आ रहे हैं। इसके साथ ही खेड़ली, रैणी व राजगढ़ आदि ब्लॉक से भी एक या दो मामले आ चुके हैं। अलवर जिले के अलावा भरतपुर व हरियाणा से भी डिप्थीरिया के मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। साल 2020 में भी भरतपुर के सीकरी से आए डिप्थीरिया के मरीज बालक की मौत हो गई थी।

ये हैं डिप्थीरिया के लक्षण : गले में सूजन, निगनले में परेशानी, आवाज भारी होना, बुखार आना है। यदि ये लक्षण दिखाई दे तो बिना देरी के चिकित्सक को दिखाएं यह डिप्थीरिया के लक्षण हो सकते हैं।

टीकाकरण से होगा बचाव: 1 से 16 साल तक के बच्चों में टीकाकरण करवाना जरूरी है। टीकाकरण से बीमारी से बचाव होगा। एक साल होने पर पेंटा, सात साल होने पर डीपीटी और टीडी का टीका लगाया जा रहा है। बच्चों की स्क्रीनिंग की जा रही है, आइसोलेशन वार्ड में एंटीटोक्सीन सीरम दी जाती है। जिससे रोग प्रतिरधक क्षमता बढ़ती है।

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