After corona in Patna, now its side effects are being seen in people, more than 100 such patients are reaching every month

06.06.2022
देश में कोरोना लगभग खत्म सा हो गया है परंतु अभी भी कहीं ऐसी जगह है, जहां उसने अपने पैर पसारे हुए हैं। ऐसा ही कुछ हाल पटना का है, जहां कोरोना व उसके बाद में होने वाले साइड इफेक्ट्स से यहां के लोग को काफी परेशान हो रही है। साइड इफेक्ट से ग्रसित हर महीने 100 से 150 लोगों का आंकड़ा अस्पताल में देखा जा रहा है।उल्टी, सिर दर्द, थकान जैसे साइड इफेक्ट्स की वजह से लोग सिर दर्द की दवा खा रहे हैं।आईजीआईएमएस के न्यूरो मेडिसिन विभाग के हेड डॉ. अशोक कुमार के मुताबिक, बीमारियों की पहचान के बाद इलाज में आसानी होती है। मेनिनजाइटिस और न्यूरो सिस्टेसाइकोसिस के बीच अंतर के लिए रिसर्च की आवश्यकता है। पंजाब और दिल्ली में आईसीएमआर की मदद से किया जा रहा है। इससे बीमारियों की पहचान के साथ ही इलाज में मदद मिल रही है। मेनिनजाइटिस झिल्लियों को कहते हैं, जो मस्तिष्क की सुरक्षा कवच होती है, झिल्लियों में सूजन आने के चलते मेनिनजाइटिस से संक्रमित व्यक्ति में सिरदर्द, बुखार, उल्टी, त्वचा और होंठ का पीला होना, ठंड लगना आदि लक्षण पाए जाते हैं। जबकि, न्यूरो सिस्टेसाइकोसिस में मानसिक एकाग्रता कमी होती है। न्यूरो फिजिशियन डॉ. विनय कारक का कहना है कि कोविड संक्रमण से ठीक हुए व्यक्तियों को भी मानसिक, शारीरिक बीमारियां हुई हैं। राजवंशी नगर स्थित लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल के न्यूरो विभाग के अनिल कुमार के मुताबिक कोविड के प्रभाव से चेस्ट रोगियों की संख्या में 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।आईजीआईएमएस के न्यूरो मेडिसिन के हेड अशोक कुमार के मुताबिक, ब्रेन टीबी से पीड़ित को सिरदर्द, उल्टी, थकान, बुखार, गर्दन में अकड़न, सुस्ती, चिड़चिड़ापन, बार-बार बेहोश होने की शिकायत रहती है। ऐसे मरीजों को तत्काल डॉक्टरों से सलाह लेकर इसका पता लगाने के लिए सीएसए, एक्सरे, सीबी नेट, ब्लड टेस्ट, एमआरआई, सिटी स्कैन करवाना चाहिए।कमजोर इम्युनिटी वाले रोगियों के साथ शराब और सिगरेट पीने वाले मरीजों को सबसे अधिक ब्रेन टीबी का खतरा रहता है। इसके साथ ही फेफड़े के टीबी मरीजों को ब्रेन टीबी का सबसे अधिक खतरा रहता है।

In Bhopal’s major health center Jai Prakash Chikitsalaya (JP), 47 class III employees are in a state of illness.

06.06.2022
राजधानी का प्रमुख स्वास्थ्य केंद्र जेपी अस्पताल(JP Hospita) का एक चौथाई स्टाफ खुद बीमार है। इसका खुलासा पिछले दिनों कराई गई अस्पताल स्टाफ की मेडिकल जांच से हुआ है। हालांकि अभी अस्पताल के तृतीय-चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की ही जांच कराई है। ऐसे में लगभग 46% कर्मचारियों की जांच की गई है। बाकी स्टाफ की जांच के लिए अगले हफ्ते विशेष कैंप की तैयारी की जा रही है। इस दौरान अस्पताल के डॉक्टर, नर्सिंग, पैरामेडिकल, टेक्नीकल स्टाफ समेत बाकी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का चैकअप होगा, जो कर्मचारी बीमार मिले हैं उनका सही ढंग से इलाज कराने को कहा गया है। जेपी अस्पताल के 180 कर्मचारियों की जांच करने पर 47 बीमार पाए गए इनमें 25 बीपी के मिले।जिन कर्मचारियों की जांच हो गई हैं उनका डिजिटल रिकॉर्ड तैयार कराया जा रहा है। आगे जिन कर्मचारियों की जांच होंगी उनका प्रिंट उन्हें उपलब्ध कराया जाएगा, लेकिन इस पूरे रिकॉर्ड को डिजिटल रखकर एनएचएम की ओर से तैयार कराए जा रहे पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। इसका फायदा यह होगा कि भविष्य में कोई कर्मचारी बीमार पड़ता है तो उसकी मेडिकल हिस्ट्री पोर्टल से एक क्लिक पर देश के किसी भी अस्पताल में आसानी से उपलब्ध हो जाएगी।
परिजनों का भी रहेगा रिकॉर्ड,जेपी अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि पहले चरण में अस्पताल के 386 कर्मचारियों की मेडिकल जांच कराकर उनका रिकॉर्ड एकत्रित करेंगे। दूसरे चरण में डॉक्टरों समेत तमाम कर्मचारियों के परिजनों को भी इस योजना से जोड़कर उनकी भी नि:शुल्क जांचें कराई जाएंगी। डिजिटल डाटा तैयार होने के बाद कर्मचारियों को आयुष्मान भारत योजना से भी जोड़ा जाएगा। ऐसे में बीमार होने पर नि:शुल्क उपचार मिलेगा। कर्मचारी अस्पताल से सांठगांठ कर झूठे मेडिकल बिल लगाकर छुट्टी लेते हैं लेकिन, योजना का लाभ मिलने पर यह संभव नहीं होगा।

Voluntary blood donation camp organized by Maheshwari Samaj on Mahesh Navami in Bhopal

06.06.2022
महेश नवमी के अवसर पर माहेश्वरी समाज द्वारा नैनागढ़ रोड स्थित माहेश्वरी भवन में एक स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इसमें 155 लोगों ने स्वैच्छिक रक्तदान किया।कार्यक्रम की शुभारंभ आराध्य देव भगवान शिव के मंदिर में दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।तत्पश्चात रक्तदाताओं ने अपना रक्त जरूरतमंद को काम आवे इस सेवा भाव से दान दिया। साथ ही यह संकल्प भी लिया कि भविष्य में भी आवश्यकता पड़ने पर रक्तदान हमेशा जारी रहेगा।

Guests who came to Kota’s Government Medical College program were trapped in the lift, pulled out after half an hour

06.06.2022
कोटा मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशलिटी विंग की बिल्डिंग में एक कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे मेहमान लिफ्ट में फंस गए। लिफ्ट के अचानक बंद हो जाने के चलते करीब 20 मिनट तक लोग लिफ्ट में ही फंसे रहे। बाद में अस्पताल के कर्मियों और टेक्निकल कर्मचारियों ने जैसे-तैसे कड़ी मशक्कत के बाद लोगों को बाहर निकाला।लिफ्ट में अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर निलेश जैन, समाजसेवी राजेश मीणा समेत करीब आधा दर्जन लोग फंस गए थे। दरअसल एस एस बी ब्लॉक में सिंधु यूथ सर्किल की तरफ से सेवा कार्य का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में भाग लेने समाजसेवी और कोटा नागरिक सहकारी बैंक के अध्यक्ष राजेश बिरला, जीएम अध्यक्ष राकेश जैन, सिंधु यूथ सर्किल अध्यक्ष दीपक राजानी सेवा काम के लिए अस्पताल पहुंचे। कार्यक्रम में भाग लेने के बाद सभी लिफ्ट से वापस आ रहे थे। इसी दौरान लिफ्ट बीच में ही बंद हो गई,इस पर एसएसबी अधीक्षक नीलेश जैन ने अस्पताल प्रशासन को जानकारी दी। अस्पताल की लिफ्ट में लोगों के फंसे होने की जानकारी मिलते ही अस्पताल प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। अस्पताल प्रशासन के लोग तुरंत मौके पर पहुंचे और निकालने के प्रयास शुरू किए गए।तकनीकी कर्मियों को भी मौके पर बुलाया गया और लिफ्ट शुरू करने के प्रयास किए लेकिन सफल नहीं हो सके। इसके चलते करीब 20 मिनट तक आधा दर्जन लोग लिफ्ट में ही फंसे रहे। उन का दम घुटने लगा। जैसे तैसे कर लिफ्ट का दरवाजा खोला गया और फंसे हुए लोगों को बाहर निकाला गया।

Government’s insensitive decision, 16 types of over the counter (OTC) medicines will now be available without a doctor’s prescription in Jaipur

06.06.2022
देखा जाए तो सरकार के ऐसे फैसले काफी गलत हैं,बुखार, खांसी, नेजल स्प्रे, घाव,फंगल इन्फेक्शन, मसूड़ों की सूजन,कील-मुंहासे जैसी 16 तरह की बीमारियां कम नहीं है, इन जैसी बीमारियों के लिए डॉक्टरी सलाह का होना बेहद जरूरी है, परंतु दुर्भाग्य है कि अब से मरीजों को बिना डॉक्टर की पर्ची के ही इन बीमारियों की दवाएं मेडिकल स्टोर पर आराम से मिल जाएंगी । यह सारी दवाएं ओवर द काउंटर यानी ओटीसी दवाएं कहलाई जाती हैं, जिन्हें फार्मासिस्ट बिना डॉक्टर की पर्ची के ही बेच सकेंगे, लेकिन ओटीसी कैटेगरी के लिए शर्तों की पालना करनी पड़ेगी। इसमें ओरल डिहाइड्रेशन सॉल्यूशन को शामिल नहीं किया गया है। केन्द्र सरकार की सलाहकार समिति ड्रग्स टेक्निकल एडवायजरी बोर्ड (डीटीएबी) नई दिल्ली ओटीसी दवाओं के लिए मंजूरी दे दी है। इसके बाद में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से मसौदा तैयार कर लिया गया है।

Doctors got success in Chomu’s Jan Kalyan Hospital, operated on patients with spinal cord and saved them from paralysis

06.06.2022
शहर के कचौलिया रोड स्थित जनकल्याण हॉस्पिटल में चिकित्सकों ने 6 मरीजों की रीड की हड्डी का ऑपरेशन करने में सफलता हासिल की है, छह के छह मरीज स्वस्थ हैं व बिना किसी सहारे आराम से चल फिर सकते हैं। जनकल्याण हॉस्पिटल के संस्था प्रबंधक निदेशक एनसी निठारवाल व वरिष्ठ सर्जन डॉ भानु कुमार व डॉ पंकज कुमार ने बताया कि हमारे इस अस्पताल में लगातार रीड की हड्डी,कूल्हा प्रत्यारोपण, घुटने के जोड़ प्रत्यारोपण के अनेक सफल ऑपरेशन नई-नई तकनीकों द्वारा लगातार किए जा रहे हैं जिससे अस्पताल का काफी नाम भी है। यहां पर लोगों का हड्डी के ऑपरेशन के प्रति विश्वास बढ़ता जा रहा है जिससे यह उनकी पहली पसंद बन चुका है।

In Sirohi district hospital, the post of radiologist is vacant for the last two years, sonography is being done by certificate holder doctors.

06.06.2022

पिंडवाड़ा सीएचसी में नियुक्त रेडियोग्राफर डॉ. जयप्रकाश दरवर 14 महीने से गैर हाजिर रहकर जिला मुख्यालय के निजी डायग्नोस्टिक सेंटर पर सेवाएं दे रहे हैं। दूसरी ओर जिला अस्पताल में भी यह पद खाली पड़ा है। विभाग के मुखिया सीएमएचओ डॉ. राजेश कुमार 14 महीनों कोई कार्रवाई नहीं कर पाए। कार्रवाई करने की बजाय वे उच्चाधिकारियों को चिट्ठी लिखने का बहाना बनाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते रहे। मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि सिरोही के जिला अस्पताल में पिछले दो साल से रेडियोलॉजिस्ट का पद खाली होने के कारण यहां सर्टिफिकेट धारी डॉक्टर गौरव भट्टाचार्य और डॉक्टर राहुल खन्ना से सोनोग्राफी करवाई जा रही है। अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टर ना होने के कारण मरीजों को बड़ी जांचों के लिए डॉ जयप्रकाश दरवर जैसे निजी सेंटरों में महंगे दामों में जांच कराने जाना पड़ता है। डा. दरवर को मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पताल में पोस्टिंग देने के बजाय उसे ऐसे अस्पताल में लगाया गया जहां सोनोग्राफी मशीन ही नहीं है। पिछले 14 महीनों से ना तो इस डॉक्टर पर कोई विभागीय कार्रवाई नहीं हुई।विभाग के नियमों के विपरीत इसलिए : विभागीय नियमों के अनुसार रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर निजी प्रैक्टिस के लिए निजी जांच सेंटर पर तभी सेवाएं दे सकते हैं जबकि उनके ऐसा करने से राजकीय काम प्रभावित ना हो रहा हो। राजकीय काम प्रभावित होने पर उनके खिलाफ राज्यादेश की अवहेलना में अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान है। लेकिन इस मामले में विभाग के मुखिया डॉ राजेश कुमार ने चिट्ठी लिखने के अलावा कोई कार्रवाई ही नहीं की है। इस बारे में पक्ष जानने के लिए डॉ जयप्रकाश दरवर को कई बार फोन और मैसेज किए गए लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इसके साथ ही चिकित्सा विभाग के डायरेक्टर पब्लिक हैल्थ डॉ वी के माथुर को भी किए गए फोन का जवाब नहीं मिला।

In Bilaspur, doctors got success in removing coins from the girl’s mouth, 8-year-old girl kept coins in her mouth while playing

06.06.2022
डॉक्टरों ने चार घंटे की मशक्कत के बाद आठ साल की बच्चे की भोजन नली से तीन सिक्के निकाले।दरअसल, कोरबा जिले के पाली ब्लॉक के खैरा डुबान की रहने वाली लड़की ने खेलते वक्त मुंह में सिक्के रखे लिए थे। जो अंदर जाकर भोजन नली में फंस गए।इससे बच्ची रोने लगी और उसकी हालत खराब हो गई। घबराए परिजन उसे अस्पताल ले गए, जहां से उसे बिलासपुर रेफर कर दिया गया था।परिजन उसे लेकर निजी अस्पताल पहुंचे, तब उसकी हालत नाजुक थी और वह दर्द से सुस्त पड़ गई थी। उसे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। डॉक्टरों ने एक्स-रे से देखा, तब सिक्के बच्ची के गले में फंसे थे। सिक्कों को निकालने के लिए डॉक्टरों ने बच्ची को बेहोश किया। फिर ऐसोफेगो स्कोप नामक यंत्र को उसके मुंह से खाने की नली में डाला। कुछ देर बाद एक सिक्का निकला। फिर दूसरे सिक्के को निकाला गया। दो सिक्के निकालने के बाद डॉक्टरों ने फिर से एक्स-रे मशीन से देखा तो एक और सिक्का नजर आ रहा था, जिसे निकालने के लिए तीसरी बार स्कोप को खाने की नली में डाला और तीसरा सिक्का भी निकाल लिया गया। बच्ची दो रुपए के दो और एक रुपए के एक यानि की तीन सिक्कों को निगल ली थी। कुल मिलाकर 5 रुपए बच्ची के गले में फंस गए थे। सिक्के निकालने के बाद बच्ची की हालत अब ठीक है, डॉक्टर बृजेश पटेल ने कहा कि इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए पेरेंट्स को बच्चों पर नजर रखना चाहिए। बच्चों को सिक्कों को मुंह में डालने न दें। इसी तरह कोई भी खाने की ठोस वस्तु भी बच्चे खा रहे हैं, तो पैरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए। गले में स्वांस नली और भोजन नली में सिक्के या खाने का कोई ठोस वस्तु फंस जाए, तो घातक हो सकता है। स्वांस नली में सिक्के फंसने से दम घूट सकता है और बच्चों की जान भी जा सकती है। ऐसे में छोटे बच्चों का खास ध्यान रखना चाहिए।

10 Operation Theaters (OTs) dedicated for Covid in New Nehru Hospital, Chandigarh, now open for public again

06.06.2022
हॉस्पिटल प्रबंधन ने कोरोना काल में इस अस्पताल को कोविड-19 डेडीकेटेड अस्पताल बना दिया गया था। अस्पताल के 10 ऑपरेशन थिएटर भी कोविड-19 के लिए डेडीकेटेड कर दिए गए थे। इसके चलते यहां आने वाले आम मरीजों की सर्जरी नहीं हो पा रही थी जिससे मरीज भी खासा निराश थे। पीजीआई के डायरेक्टर.प्रो विवेक लाल ने मेडिकल सुपरीटेंडेंट विपिन कौशल के साथ एनएचआई का दौरा कर ऑपरेशन थिएटरों को आम जनों के लिए फंक्शनल करने के लिए कहा है, जिससे आम लोगों को काफी राहत मिलेंगी, क्योंकि यह 10 ऑपरेशन थिएटर बिल्कुल ही मॉडर्न तकनीक से बनाए गए हैं, इसलिए इन ऑपरेशन थिएटरों पर आमजन का भरोसा ज्यादा है। कोविड-19 कैसेस में कमी आने के कारण , पीजीआई क्षेत्र को खाली देखते मद्देनजर यह फैसला लिया गया है।

जुलाई तक, राजस्थान को सीएचसी में 100 प्राथमिक आघात देखभाल इकाइयों की उम्मीद है

04.06.2022
Jaipur: On Wednesday, officials from the transportation department announced that 100 primary trauma stabilization units were being established in community health centers around the state to provide better services to accident victims.These units are being built on areas where there have been no road accidents in the past.Officials said the aim is to stabilize an injured victim with initial care and then transfer to a higher center if needed.As part of a capacity building initiative, 100 community health centers around the state are being developed, where doctors and nursing staff will be certified on how to provide initial healthcare services to trauma victims.In 70 centres, infrastructure projects have already been completed, and the remaining work will be completed by July, according to Nidhi Singh, joint commissioner for road safety with the state transportation department.According to official reports, seven trauma units have been established in Ajmer district, four in Bhilwara and Nagaur each, two in Tonk, eight in Alwar, two in Dausa, three in Jaipur rural area, three in Jaipur rural district, three in Banswara, one in Pratapgarh, Rajasamand, three in Sikar, three in Kota, one in Jaisalmer, three in Sawai Madhopur Each year, the road safety cell aims to train 360 employees, including doctors and nurses, with 30 participants in each session.Equipment such as a trauma care crash cart, laryngoscope, ambu bag, pulmo aid (nebulizer), sterilizer, glucometer, Thomas splint, multi para monitor, patient stretcher trolleys, digital thermometers, ECG machine three channel, radiology high frequency x-ray machines, etc.