The female doctor of Chhabra Hospital in Hanumangarh has been accused of being negligent in the treatment of a pregnant woman.

15.07.2022
टाउन की चुंगी नम्बर छह पर स्थित छाबड़ा अस्पताल की महिला चिकित्सक पर गर्भवती महिला के इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए मरीज के परिजनों ने मृत नवजात बच्चे को गोद में उठाकर अस्पताल में हंगामा किया। परिजनों ने आरोप लगाया कि छाबड़ा अस्पताल की चिकित्सक की लापरवाही के कारण नवजात बच्चे की जान चली गई और अन्य अस्पताल में प्रसूता की स्थिति अभी भी गंभीर है। हंगामा इतना बड़ गया कि परिजनों ने संचालक डॉ. विजय छाबड़ा व नर्सिंग कर्मी के साथ हाथा पाई भी की। मरीज के परिजनों ने गायनी डॉ. नंदा छाबड़ा के खिलाफ कार्यवाही की मांग करने लगे। मामला बढ़ता देख डॉ. शेखावत, डॉ. पारस जैन, आईएमए अध्यक्ष डॉ. भवानी सिंह ऐरन, डॉ. बेनीवाल, डॉ. तुषार गुप्ता, डॉ. राजेंद्र गुप्ता आदि ने छाबड़ा अस्पताल पर पहुंचकर परिजनों से समझाइश की। इसके पश्चात टाउन थाना पुलिस व सीआई भी मौके पर पहुंचे और मामला शांत करवाया। करीब आधा घंटे तक चली वार्ता के बाद परिजन मुकदमा दर्ज करवाने के लिए टाउन थाने चले गए।टाउन थाने में यह दिया परिवाद: शिकायतकर्ता रोहित शर्मा पुत्र सतपाल निवासी बरकत कॉलोनी, टाउन की ओर से टाउन थाने में दिए गए परिवाद के अनुसार उसकी गर्भवती पत्नी गोरी शर्मा को मंगलवार को छाबड़ा अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसी दिन डॉ. नंदा छाबड़ा ने यह कहते हुए छुट्टी दे दी कि अभी डिलीवरी में समय है। उनका मरीज बिल्कुल ठीक है, वे उसे घर ले जाएं। तब वे उसकी पत्नी को घर ले गए। लेकिन दर्द होने पर बुधवार सुबह दोबारा उसकी पत्नी को छाबड़ा अस्पताल लेकर आए। चिकित्सक के कहने पर अस्पताल में ही स्थित लैब से जांच करवाई तो प्लेटलेटस 35 हजार बताई गई। तब डॉ. नंदा छाबड़ा ने कहा कि प्लेटलेटस कम है। वह ऑपरेशन नहीं कर सकती। मिन्नत करने के बावजूद उन्होंने ऑपरेशन नहीं किया। परिजनों ने डॉक्टर को बताया कि पूर्व में भी सिजेरियन डिलीवरी हुई थी। इसलिए अब भी सिजेरियन की जाए। लेकिन डॉक्टर ने कहा कि अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में 17 जुलाई को डिलीवरी की दिनांक लिखी हुई है। वे 17 जुलाई को ही डिलीवरी करेंगे। बुधवार शाम करीब 4 बजे डॉ. नंदा छाबड़ा ने उन्हें कहा कि वे मरीज को घर ले जाएं। वह बिल्कुल ठीक है। लेकिन दर्द अधिक होने के कारण वह अपनी पत्नी को हिसारिया हॉस्पिटल ले गया। वहां ब्लड की दोबारा जांच करवाई तो प्लेट्लेटस 1 लाख 45 हजार आई। इस प्रक्रिया के दौरान उसकी पत्नी की बच्चेदानी फट चुकी थी तथा बच्चा आधा बाहर आ गया। रात 9 बजे जब तक डिलीवरी हुई तब तक बच्चे की मौत हो चुकी थी।रोहित शर्मा के अनुसार हिसारिया अस्पताल के चिकित्सक का कहना था कि अगर वे आधा या एक घंटा देरी से आते तो प्रसूता की भी जान जा सकती थी। रोहित ने आरोप लगाया कि छाबड़ा अस्पताल की डॉ. नंदा छाबड़ा की लापरवाही के कारण उसके बच्चे की मौत हो गई। उसकी पत्नी की भी जान जाते-जाते बची। उसकी पत्नी फिलहाल आईसीयू में भर्ती है। अगर छाबड़ा अस्पताल के डॉक्टर की ओर से उनके कहने पर सिजेरियन किया जाता तो उसके बच्चे की जान बच जाती। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। रोहित शर्मा ने आरोप लगाया कि जब इस घटना के बाद वह छाबड़ा अस्पताल पहुंचे तो अस्पताल संचालक डॉ. विजय छाबड़ा ने कहा कि जो होना था वह हो गया। अब वे कुछ ले-देकर इस बात को यहीं खत्म कर दें। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला देते हुए इस संबंध में टाउन थाने में मर्ग दर्ज की

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