हड्डियों, जोड़ों की सर्जरी के बजाय कसरत से फायदा, फिजियोथेरेपी व दवाएं कारगर

इन दिनों घुटना और हिप बदलने सहित हड्डियों की कई तकलीफों में सर्जरी कराने का चलन सामान्य हो गया है। इनमें खर्च ज्यादा होता है। जोखिम भी अधिक है। कई बार पूरी तरह स्वस्थ में हफ्तों या महीने तक लगते हैं। एक रिव्यू में पाया गया है कि इनमें से कई तरह की सर्जरी कामयाब होने के सबूत ट्रायल में नहीं मिले हैं। यहां तक कि जब सर्जरी प्रभावी नजर आई तो समीक्षा से सामने आया कि यह बिना सर्जरी के इलाज से बहुत अधिक बेहतर नहीं है। कई मामलों में सर्जरी एक्सरसाइज, फिजियोथेरेपी और दवाइयों के इलाज जैसे विकल्पों से अधिक से असरकारी नहीं रही।

 

ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने घुटने, हिप, कंधे स्पाइन और कलाई सहित 10 आम ऑर्थोपेडिक ऑपरेशनो के अध्ययनों पर गौर किया है। उन्होंने पाया कि घुटना बदलने सहित अन्य सर्जरी से अधिक फायदेमंद दूसरे इलाज है। छह अन्य किस्म की आम सर्जरी की स्टडी में सामने आया कि एक्सरसाइज, वजन नियंत्रित करने, फिजियोथेरेपी और दवाइयों से उपचार ज्यादा कारगर है। ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी इंग्लैंड में ऑर्थोपेडिक सर्जरी के प्रोफेसर डॉक्टर एशले ब्लोम कहते हैं, हमारी स्टडी ने दर्शाती कि हिंदू ऑपरेशनो से मरीज बेहतर होते हैं।

 

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी सैनफ्रांसिस्को में ऑर्थोपेडिक सर्जरी के प्रोफेसर डॉक्टर साम मोर्शेद का कहना है हमें स्वयं को आइना दिखाना चाहिए और कुछ ऑपरेशनो के असर की जांच पड़ताल करनी चाहिए । इसके साथ समझना जरूरी है कि किसी इलाज को सही ठहराने वाले ट्रायल का अर्थ नहीं है कि वह इलाज प्रभावी नहीं है। वे कहते हैं हिप सर्जरी एक अच्छा उदाहरण है हिप सर्जरी पर कोई ट्रायल नहीं हुआ है लेकिन गैर सर्जिकल उपचारों की तुलना में उसके प्रभावी होने के सबूत मिले हैं।

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