All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) Raipur has a separate ward of twenty beds for psychopaths, will help patients to get treatment under the supervision of doctors.

एम्स रायपुर में मनोरोगियों के लिए बीस बिस्तर का अलग से वार्ड बनाया गया है। इसकी मदद से मनोचिकित्सा के लिए आने वाले रोगियों को डॉक्टरों की निगरानी में इलाज करने में काफी मदद मिलेगी। नए वार्ड में ईसीटी और टीडीसीएस की सुविधा भी मिलेगी। इसके साथ ही आरटीएमएस की सुविधा भी जल्द उपलब्ध करवाई जा रही है। नए वार्ड का उद्घाटन डायरेक्टर प्रो. डॉ. नितिन एम. नागरकर और आस्ट्रेलिया स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबोर्न में प्रिंसिपल रिसर्च फैलो डॉ. ग्रेगरी आर्म्सट्रांग ने किया। इस दौरान विभाग द्वारा ’प्रीवेंटिंग सुसाइड इन इंडिया बाई इंप्रूविंग मीडिया रिपोर्टिंग ऑफ सुसाइड’ विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया। इसमें डॉ. आर्म्सस्ट्रांग ने आत्महत्या संबंधी मामलों की रिपोर्टिंग में विशेष सतर्कता बरतने का सुझाव देते हुए कहा कि प्रमुख व्यक्ति के आत्महत्या करने और इसके मीडिया व सोशल मीडिया में प्रमुखता से प्रकाशित या प्रसारित करने से कमजोर मानसिकता और अवसादग्रस्त रोगियों को आत्महत्या के लिए प्रेरणा मिलती है। शोध में यह तथ्य ज्ञात हुआ है कि प्रमुख व्यक्ति के आत्महत्या करने के बाद इंटरनेट पर आत्महत्या संबंधी सर्च अधिक की जाती है।

मनोरोग संबंधी अनुसंधान को प्रोत्साहन

डॉ. नागरकर ने कहा, इससे रोगियों को अत्याधुनिक इलाज के साथ प्रदेश के मनोरोग संबंधी अनुसंधान को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने आशा प्रकट की कि नई सुविधाओं के बाद रोगियों को एक ही स्थान पर सभी मनोरोगों का इलाज उपलब्ध हो सकेगा। पूर्व में उक्त वार्ड आयुष भवन में संचालित किया जा रहा था, जिसे कोविड के दौरान बी ब्लॉक में स्थानांतरित कर दिया गया था। अब यह वार्ड अपने निर्धारित स्थान पर पूर्ण सुविधाओं के साथ संचालित किया जा सकेगा।

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