Dr. Zaheer-ul-Islam, who created history in plastic surgery 45 years ago, is no more.
28.07.2022
डॉ. जहीर का शुमार देश-दुनिया के उन डॉक्टरों में है, जिन्होंने प्लास्टिक सर्जरी के बूते कई मायूस लोगों को नई जिंदगी दी। बुधवार शाम 4:30 बजे फानी दुनिया को डॉ. जहीर ने अलविदा कह दिया।रात को सूफिया मस्जिद में उनकी नमाज-ए-जनाजा हुई और भोपाल टॉकीज के पास वाले कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्देखाक किया गया। परिवार के नाम पर सिर्फ पत्नी के रूप में नजमा हैं। उनके छोटे भाई शहर के प्रसिद्ध सर्जन डॉ. नईम हैं। डॉ. जहीर का सबसे बड़ा करिश्मा साल 1977 में ग्वालियर की एक युवती मुन्नी बाई को मुन्ना लाल बनाने का है। मुन्ना की अब संतानें हैं।
दरअसल, मुन्नीबाई पुलिस इंस्पेक्टर की बेटी थीं। उनकी शादी के तीसरे दिन पति ने उन्हें घर से निकाल दिया। इसके पीछे वजह बताई गई कि उनका शरीर और हावभाव स्त्रियों की तरह न होकर पुरुषों जैसे थे। इसके बाद पिता उन्हें इलाज के लिए इंदौर के महाराजा यशवंत अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टरों ने उन्हें भोपाल के हमीदिया अस्पताल में डॉ. जहीर को दिखाने के लिए कहा।
इसके बाद डॉ. जहीर ने 3 महीने तक हमीदिया में रखकर उनका दो बार ऑपरेशन किया और मुन्नी बाई, मुन्ना लाल बन गई। उनके इस काम के कारण उन्हें अमेरिका समेत कई देशों में हुई मेडिकल कॉन्फ्रेंस में बुलाया गया। डॉ. जहीर की एक खासियत यह भी थी कि वे दोनों हाथों से एकसाथ सर्जरी कर लेते थे।
बात-बात पर शेर कहना फन था
जैमिनी के अनुसार स्वभाव से मजाकिया, बात-बात पर शेर कहना डाॅ. जहीर का एक फन था। रिश्ते निभाने के मामले में वे एक मिसाल थे। साथ ही मेडिकल दुनिया के वे इनसाइक्लोपीडिया थे। उन्हें भोपाल से बहुत मोहब्बत थी। बर्रु कट भोपाली होने के साथ ही उर्दू अदब में दखल रखते थे।
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