Research published in British Journal and JAMA revealed, Patna AIIMS’s success rate in the treatment of corona is better than major hospitals in America

25.07.2022
पटना एम्स के चिकित्सकों ने कोरोना की पहली लहर में भर्ती मरीजों और इलाज के तरीके को लेकर रिसर्च किया है। रिसर्च में यह सामने आया है कि पटना एम्स ने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए जो एसओपी तैयार किया था, वह अमेरिका और इटली जैसे विकसित देशों के प्रमुख अस्पतालों के बराबर था। इसका सुखद परिणाम यह रहा कि हमारे डाॅक्टर ज्यादतर कोरोना मरीजों को स्वस्थ करने में सफल रहे।पहली लहर में इलाज के लिए पटना एम्स में 4102 संक्रमित भर्ती हुए थे। इसमें 3268 ठीक हुए। यानी, 79.66 फीसदी। दूसरी ओर, अमेरिका में हुए रिसर्च में खुलासा हुआ है कि न्यूयाॅर्क के प्रमुख अस्पतालों में पहली लहर में भर्ती 5700 मरीजों में 21% की अस्पताल में मौत हई। पटना एम्स का रिसर्च ब्रिटिश मेडिकल जर्नल और अमेरिका में हुआ रिसर्च जामा में प्रकाशित हुआ है।
आठ से 14 दिन में ठीक होकर घर जा रहे थे संक्रमितपटना एम्स में मरीजों के स्वस्थ होने में औसतन 08 से 14 दिन का समय लग रहा था। भर्ती होने के आठवें दिन मरीज की मौत हो रही थी। एक बड़ा खुलासा हुआ कि गंभीर मरीज जिनको रेमडेसीविर लगा उनमें 5.4, प्लाज्मा थेरेपी लेने वालों में 7.76% या फिर टोसलीमुजैब लेने वालों की 6.3 गुना मौतें अधिक हुईं। मृतकों में अिधकतर बीपी और किडनी के मरीज थे।

60+ की अधिक मौतें हुईं
पटना एम्स में मरीज का एवरेज उम्र 55 साल थी। अधिकांश मरीज 51 साल से 60 साल के थे। सबसे अधिक 263 मौत 61 साल से 70 साल की उम्र के मरीजों की हुई। यानी 23 फीसदी 60 साल से अधिक उम्र के मरीजों की मौत हुई। पुरुषों के मुकाबले महिलाएं इस दौरान कम संक्रमित हुई। इनका रेसियो 2.7:1 था।
एम्स ने शानदार काम किया
पटना एम्स की रिसर्च टीम में शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. लोकेश तिवारी, मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. सीएम सिंह, पूर्व निदेशक डॉ. पीके सिंह के अलावा विभिन्न विभागों के विशेषज्ञ चिकित्सक शामिल थे। इस बाबत एम्स के निदेशक डॉ. जीके पाल ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान पटना एम्स ने शानदार काम किया।

⇓ Share post on Whatsapp & Facebook  ⇓

Facebook Comments