Supreme Court overturns the decision of Delhi High Court, unmarried women also have the right to have an abortion

22.07.2022
महिलाओं के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने कहा कि गर्भपात कानून के तहत अविवाहित महिलाओं को भी गर्भपात कराने का अधिकार है। इसके साथ ही कोर्ट ने 24 सप्ताह की गर्भवती अविवाहित युवती के गर्भपात पर विचार करने के लिए एम्स में गुरुवार को ही मेडिकल बोर्ड का गठन करने के आदेश दिए। बोर्ड तय करेगा कि युवती के जीवन को खतरे में डाले बगैर सुरक्षित गर्भपात किया जा सकता है या नहीं।जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस ए.एस. बोपन्ना की बेंच ने दिल्ली हाई कोर्ट का फैसले पलटते हुए कहा कि हाई कोर्ट ने इस मामले में अनुचित प्रतिबंधात्मक दृष्टिकोण अपनाया। हाई कोर्ट का यह कहना सही नहीं है कि याचिकाकर्ता अविवाहित है, इसलिए उसका मामला गर्भपात कानून के तहत नहीं आता। अदालत का काम बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल करना है। अदालत कोई कंप्यूटर नहीं है कि सिर्फ मशीनी फैसला दे। हाई कोर्ट ने युवती को गर्भपात की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट के जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा व जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा था कि कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए कानून के दायरे से आगे नहीं जा सकती।

हाई कोर्ट ने दिया था यह फैसला
दिल्ली हाई कोर्ट ने 15 जुलाई को फैसले में कहा था कि सहमति से बने संबंध में गर्भ को गर्भपात कानून के तहत 20 सप्ताह बाद समाप्त करने की अनुमति नहीं है। कोर्ट ने युवती के इस तर्क पर केंद्र से जवाब मांगा था कि अविवाहित महिलाओं को 24 सप्ताह तक का गर्भ समाप्त करने की अनुमति नहीं देना भेदभावपूर्ण है। बेंच ने सुझाव दिया था कि याचिकाकर्ता को बच्चे के जन्म तक सुरक्षित जगह रखें।

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