Due to the municipal elections in Bhopal, the medical board of Jaiprakash (JP) Hospital has increased the crowd.
25.06.2022
जेपी अस्पताल में बैठने वाले मेडिकल बोर्ड में इन दिनों काफी भीड़ बढ़ गई है। आलम यह है कि पहले जहां एक हफ्ते में 100 से 120 लोग पहुंचते थे तो वहीं अब इनकी संख्या अचानक से 450 पर पहुंच गई है। इसकी वजह चुनाव में लगी कर्मचारियों की ड्यूटी है।
दरअसल, नगरीय निकाय चुनाव में शहर के अलग-अलग विभागों के हजारों कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। इनमें कुछ ऐसे कर्मचारी भी शामिल हैं, जो दिव्यांग हैं या गंभीर बीमारी के कारण चुनाव ड्यूटी करने के लिए सक्षम नहीं हैं।ऐसे में इन्हें मेडिकल बोर्ड के सामने उपस्थित होना पड़ता है। बोर्ड संबंधित की शारीरिक स्थिति का आंकलन करता है और अपना मत देता है कि उक्त व्यक्ति चुनाव में ड्यूटी करने योग्य है या नहीं। बोर्ड के सर्टिफिकेट के बाद ही कर्मचारी की ड्यूटी लगाई जाती है।
केस-1 गर्ग फायब्रोस डिस्प्लेसिया नामक गंभीर बीमारी, लगा रहे चक्कर
सुरेश गर्ग सतपुड़ा भवन स्थित आयुक्त कार्यालय जनजातीय कार्य में बतौर सहायक ग्रेड-1 पदस्थ हैं। गर्ग फायब्रोस डिस्प्लेसिया नामक गंभीर बीमारी के चलते दिव्यांग हैं। दोनों पैरों में परेशानी होने के कारण बैसाखी का सहारा लेना पड़ता है। हड्डियां इतनी कमजोर हैं कि जरा से झटके में टूट जाती हैं। बावजूद इसके उनकी चुनाव में ड्यूटी लगी है। वे मेडिकल बोर्ड के चक्कर काट रहे हैं।
केस-2 कान का ऑपरेशन होना है, फिर भी पंचायत चुनाव में लगा दी ड्यूटी
नीरव चतुर्वेदी वन विभाग में सहायक ग्रेड-3 हैं। उनके बाएं कान का पर्दा फट गया है। जेपी अस्पताल डॉक्टरों ने ऑपरेशन कराने को कहा है, फिर भी चतुर्वेदी की पंचायत चुनाव में ड्यूटी लगी है। वे एक हफ्ते से मेडिकल बोर्ड के चक्कर काट रहे थे। बोर्ड ने इनको फिट लिखा और इनको चुनाव में ड्यूटी करनी है। इन्हें पी-3 बनाया है। पी-1 वोटर का नाम व वोटर क्रमांक बोलेगा तो यह बैलेट पेपर फाड़कर मतदाता को देंगे।
लेटर लेकर घूम रहे कर्मचारी
आयुक्त कार्यालय जनजातीय कार्य में पदस्थ 4 अन्य ऐसे कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई गई है, जो बीमारियों से परेशान हैं। इस संबंध में आयुक्त संजीव सिंह ने कलेक्टर अविनाश लवानिया को विभागीय पत्र भी लिखा था। अब कर्मचारी जेपी अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन एक की भी ड्यूटी अभी तक कैंसिल नहीं हुई है।चुनाव ड्यूटी लगने के बाद मेडिकल बोर्ड में आने वालों की संख्या में इजाफा हो गया है। यही वजह है कि अभी बोर्ड रोज बैठ रहा है। संबंधित की स्थिति का सटीक परीक्षण कर सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं। -डॉ. राकेश श्रीवास्तव, सिविल सर्जन, जेपी अस्पताल
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