Corona again uncontrollable in UP, 8 patients died within 15 days

23.06.2022

यूपी में कोरोना फिर से बेकाबू हो रहा है। कोविड की दूसरी लहर की तरह लखनऊ एक बार फिर कोरोना का एपिसेंटर बनकर उभरा है यहां एक्टिव मरीजों की संख्या 618 एक्टिव पहुंच गई है। वहीं प्रयागराज के भी बेहद चिंताजनक है। यहां लगातार दूसरे दिन मंगलवार को एक संक्रमित की मौत हुई है। जून महीने में अब तक प्रयागराज में कोरोना से 4 मौतें हो चुकी है। वहीं प्रदेश भर में 15 दिन के भीतर 8 मौत हुई है।दूसरी तरफ एक्सपर्ट भी अब बढ़ते संक्रमण से सचेत रहने की सलाह दे रहा है। KGMU के सेंटर ऑफ एडवांस रिसर्च के हेड डॉ. एके त्रिपाठी ने बताया कि शरीर में कोविड के विरुद्ध एंटीबॉडी में आई कमी के कारण इन्फेक्शन में तेजी आई है। लोगों का मास्क और सैनिटाइटर का प्रयोग अभी करते रहने होगा।24 घंटे में कोरोना के 487 नए मरीज मिले हैं। इनमें सबसे ज्यादा गौतमबुद्धनगर में 125 और गाजियाबाद में 53 मामले रिपोर्ट हुए हैं। 98 मामले लखनऊ में आए हैं। इसके बाद से प्रदेश में एक्टिव केस की संख्या 2 हजार 935 हो गई है। इस बीच 376 लोग रिकवर भी हुए हैं।

कमजोर एंटीबाडी से कोरोना कर रहा अटैक, T सेल इम्युनिटी बचाएगा जान

KGMU के सेंटर ऑफ एडवांस रिसर्च के प्रभारी डॉ. एके त्रिपाठी ने बताया कि संक्रमण में आई तेजी कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी में कमी आने होने के कारण है। अब वापस से सतर्कता बरतने का समय है। लापरवाही के गंभीर परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं। हालांकि वह कहते है कि T सेल इम्युनिटी के कारण संक्रमण घातक नही होगा और हॉस्पिटल में भर्ती होने की जरूरत भी कम होगी पर सजगता रहना पड़ेगा।

इम्युनिटी और T सेल्स?

इम्यून सिस्टम शरीर की आंतरिक प्रतिरक्षा प्रणाली होती है जो शरीर की बाहरी खतरों से सुरक्षा करती है। जैसे ही कोई वायरस, बैक्टीरिया या रोगजनक शरीर पर आक्रमण करते हैं तो अपने आप ही यह प्रणाली सक्रिय हो जाती है और इनसे बचाव की प्रक्रिया शुरु कर देती है।

शरीर में दो प्रकार की WBC यानी सफेद रक्त कोशिकाएं होती हैं, जिन्हें लिम्फोसाइट्स कहते हैं। यह इम्युनिटी के लिए अहम होती हैं। इनका निर्माण बोन मेरो में होता है। जब शरीर पर किसी एंटीजन का हमला होता है तो इनमें से बी सेल्स उस एंटीजन की पहचान करती हैं। वहीं उससे लड़ने का काम ये टी-सेल ही करते हैं।

यह T सेल रोगों से शरीर का बचाव करती है। जब कोई वायरस या बैक्टेरिया शरीर में प्रवेश करता है, तो यह एक प्रकार के एंटीबाडी का निर्माण करती है। यह एंटीबाडी उसका मुकाबला करके उसे नष्ट कर देता है। यह कोशिका अपने निर्माण के बाद थाइमस में चली जाती है, वहीं पर इसका विकास होता है। इसलिए इन्हें T सेल्स कहा जाता है।

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