A team of 50 people, including 10 doctors from Geetanjali Medical College in Udaipur, succeeded in performing a rare heart surgery on a 15-year-old child.

20.06.2022

उदयपुर में 15 साल के बच्चे की एक दुर्लभ हार्ट सर्जरी की गई है। इस बच्चे का हार्ट काफी कमजोर था। ऐसे में डॉक्टरों की टीम ने एक्मो मशीन और जर्मन टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते हुए इस दुर्लभ सर्जरी को अंजाम दिया।इस सर्जरी की खास बात यह रही कि बच्चे को हार्ट अटैक आने और पोस्ट कार्डियक सर्जरी करने के बाद उसका एक्मो मशीन से इलाज किया गया। यह राजस्थान का पहला मामला है। साथ ही खास बात ये रही कि 7 लाख रुपए की ये सर्जरी चिरंजीवी योजना के तहत फ्री में की गई। गीतांजलि मेडिकल कॉलेज की 10 डॉक्टरों समेत 50 लोगों की टीम ने यह सर्जरी की।

उदयपुर के फलासिया का रहने वाला दिनेश रूमेटिक हार्ट डिजीज से ग्रसित था। 15 मई को जब वह हॉस्पिटल पहुंचा तो हार्ट फेल के पूरे लक्षण थे। दिनेश को चलने-फिरने में ही सांस फूलने, पैर में सूजन, शरीर में कमजोरी, दिल की धड़कन तेज होने जैसी दिक्कत हो रही थी। इसके चलते दिनेश कोई भी काम नहीं कर पाता था।

ऑपरेशन से पहले आया कार्डियक अरेस्ट

दिनेश की जांच की तो सामने आया कि दिल के एक वॉल्व में बहुत ज्यादा लीकेज है। वॉल्व बदला गया, लेकिन उसके ह्रदय गति बहुत धीमी हो गई। सीपीआर के बाद बच्चे की हालत में सुधार तो हुआ पर उसके प्लेटलेट काउंट काफी कम थे, ऐसे में डॉक्टरों की टीम बच्चे का ऑपरेशन करना चाह रही थी। मगर उम्र कम होने के चलते यह चिंता थी कि कहीं हार्ट फिर से न रुक जाए।गीतांजलि हॉस्पिटल के सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. संजय गांधी ने बताया कि 9 जून को ऑपरेशन के समय देखा कि उसके हार्ट की तीनों परत आपस में चिपकी हुई थी। काफी सूजन थी। ऑपरेशन से पहले मरीज को हार्ट अटैक आ गया। कुछ देर में उसे नॉर्मल कर ऑपरेशन किया गया। डॉ. गांधी का दावा है कि राजस्थान में ऐसा ऑपरेशन पहली बार हुआ है।

आम तौर पर वॉल्व बदलने के बाद रोगियों में समय के साथ हार्ट की पम्पिंग में सुधार आने लगता है। मगर इस रोगी के हार्ट की पम्पिंग बहुत धीमी थी। जैसे ही रोगी को हार्ट लंग मशीन से हटाने लगते तो रोगी का ह्रदय ब्लड पंप नहीं कर पा रहा था। काफी प्रयास के बाद भी कुछ नहीं हुआ तो डॉक्टर्स की टीम की सलाह से बच्चे को अत्याधुनिक तकनीकों से युक्त एक्मो मशीन पर लिया गया। 8 घंटे तक ऑपरेशन चला।

ये राजस्थान में पहली बार हुआ कि ऑपरेशन के बाद रोगी को तीन दिन तक एक्मो मशीन पर रखा गया। इसके बाद मरीज की स्थिति में सुधार आने लगा। 16 जून तक दिनेश पूरी तरह स्वस्थ हो गया। डॉ. गांधी ने कहा कि एक्मो मशीन से हार्ट और फेफड़ों का काम लिया जाता है। इस दौरान हार्ट रेस्ट पर होता है।मरीज के पास नहीं था पैसा
मरीज के पिता किसान है। मरीज गरीब परिवार से था। मगर सिर्फ 15 साल उम्र होने के चलते डॉक्टर्स ने रिस्क लेकर इलाज किया। इस सर्जरी में 7 लाख का खर्च आता है। मरीज के पास इलाज का पैसा नहीं था। इलाज के बाद हॉस्पिटल ने हेल्थ डिपार्टमेंट से सम्पर्क किया और बताया कि सर्जरी कर दी गई है।

इसके बाद मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना के तहत रोगी के पूरे इलाज का खर्च उठाया गया। इस टीम में डॉ. संजय गांधी, डॉ. अनुभव बंसल,डॉ. गुरप्रीत सिंह, कार्डियक एनेस्थेसिस्ट डॉ. अंकुर गांधी, डॉ. कल्पेश मिस्त्री, डॉ. सुमित तंवरी, डॉ. के. चरान, डॉ. अर्चना देवतरा, ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. कपिल भार्गव सहित कई डॉक्टर्स की टीम शामिल रही।

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