पहली बार 2 बैच साथ करेंगे मेडिकल फर्स्ट इयर की पढाई

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद नीट पीजी काउंसलिंग का शेड्यूल जारी हो गया। इसके साथ जल्द ही यूजी का भी शेड्यूल जारी होगा। मेडिकल एजुकेशन के इतिहास में यह पहला साल होगा, जिसमें हर मेडिकल कॉलेज में फर्स्ट ईयर की दो क्लास चलेंगी। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि नीट यूजी और पीजी 2021 तथा नीट यूजी, पीजी 2022 का प्रॉसेस पूरा होने के बीच छह-सात माह से कम समय रहेगा।

एक ही साल में फर्स्ट ईयर में एडमिशन की प्रक्रिया दो बार होगी। नीट पीजी की 2021 की काउंसलिंग मार्च तक पूरी होगी और 16 मार्च तक फाइनल राउंड की रिपोर्टिंग होगी। पीजी 2021 का आखिरी राउंड का सीट अलॉटमेंट और नीट पीजी 2022 की परीक्षा दोनों 12 मार्च को हैं। पीजी परीक्षा 2022 का परिणाम एक से दो माह में आएगा और इसके बाद पीजी-2022 की काउंसलिंग शुरू होगी। यूजी-2021 का शेड्यूल जल्द जारी होगा। यूजी-2021 की क्लास अप्रैल व 2022 की क्लास अगस्त-सितंबर तक शुरू होंंगी। मार्च अंत तक नीट यूजी 2021 की स्टेट काउंसलिंग चलेगी और मई में नीट होना है।

अगर किसी का सेलेक्शन नहीं होता तो नीट 2022 की तैयारी के लिए एक माह का ही समय मिलेगा। मेडिकल एजुकेशन एक्सपर्ट यश खंडेलवाल ने बताया, इस साल काउंसलिंग ऑल इंडिया कोटे के तहत काउंसलिंग भी चार राउंड में होगी। इस कारण एडमिशन प्रॉसेस लंबा चलेगा। यह बैच आने वाले सालों में दो-दो भागों में चलेगा। यानि, फर्स्ट ईयर के बाद आने वालों में हर एकेडमिक ईयर में संबंधित क्लास के दो बैच चलेंगे।

नीट पीजी का पहला सीट अलॉटमेंट 22 जनवरी को: नीट पीजी के काउंसलिंग शेड्यूल के तहत रजिस्ट्रेशन 12 से 17 जनवरी तक चलेंगे। इसके बाद च्वाइस फिलिंग 13 से 17 जनवरी और सीट अलॉटमेंट 20 से 21 जनवरी तक चलेगा। पहले राउंड का सीट अलॉटमेंट 22 जनवरी को होगा और 23 से 28 जनवरी तक रिपोर्टिंग करनी होगी। काउंसलिंग चार राउंड में होगी। आखिरी राउंड का परिणाम 12 मार्च को आएगा।

 

नीट यूजी के सेशन में देरी होने के बावजूद साल नहीं बदलेगा
नीट यूजी-2022 में देरी होने पर भी 2021 का छात्र सेकंड ईयर में नहीं पहुंच पाएगा। उस समय भी छात्र फर्स्ट ईयर स्टूडेंट कहलाएगा। ऐसी स्थिति में फर्स्ट ईयर के दो बैच ही होंगे। आईएमए जूनियर डॉक्टर्स नेटवर्क के नेशनल ज्वाइंट सेक्रेटरी डॉ. शंकुल द्विवेदी ने बताया, पहले साल में एनॉटमी विषय में डेड बॉडी पर डिसेक्शन करना पड़ता है। पहले ही बॉडीज कम हैं। छात्रों की अधिक संख्या होने पर इसमें दिक्कत आ सकती है। पीजी में क्लिनिकल प्रैक्टिस पर असर पड़ेगा। टीचिंग स्टाफ और अन्य संसाधन भी सीमित हैं। शिक्षक को फर्स्ट ईयर की एक क्लास अतिरिक्त लेनी पड़ेगी।

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