Archive for month: March, 2018
NEET PG INSTITUTIONAL PREFERENCE
आपका ध्यान किधर है, इंस्टिट्यूशनल प्रेफरेंस इधर है –
Institutional preference –
इसका मतलब है कि जिस छात्र ने जहां से पढ़ाई की है उसे उसके इंस्टिट्यूट में आगे की पढ़ाई में वरीयता मिले ।
पिछले साल 2016-17 में गुजरात हाईकोर्ट में यह केस चला था और वहां फैसला आया था कि यह सही चीज है और दिया जाए ।
पिछली राजस्थान में भी यही मुद्दा उठा था, कोर्ट में भी मामला गया पर कोई ठोस रिजल्ट नहीं आया ।
महात्मा गांधी वाले ने मौके का फायदा उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में केस किया, जहां इनका वकील कपिल सिब्बल था और इन्होंने यह गुपचुप फैसला करवा लिया कि इंस्टिट्यूशनल प्रेफरेंस जायज है ।
इसका असली खुलासा स्टेट कॉउंसलिंग के दौर में हुआ जब इन सर्विस महिला कैंडिडेट डॉ. सैनी को महात्मा गांधी की स्टेट कोटे की रेडियोडायग्नोसिस की सीट लेने से रोक दिया गया, कहा गया कि यह सीट इंस्टिट्यूशनल प्रेफरेंस कोटे में है चूंकि 25% सीटें महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी के छात्रों के लिए रिजर्व्ड हैं तो यह सीट हमने उस कोटे में डाल दी है ।
चूंकि यह उनकी दादागिरी थी कि उन्होंने रेडियोडायग्नोसिस की सीट ही इस कोटे में डाली और फिर गायनी-ऑब्स की सीट भी डाली गई ।
डॉ. सैनी के समर्थन में डॉ. जितेन्द्र बगड़िया द्वारा जबरदस्त विरोध करवाया गया और बात कॉउंसलिंग कमेटी से भिड़ंत तक गयी थी, प्रक्रिया रुकवाई गयी और पूरा स्पष्टीकरण लिया गया, पिछले साल के सभी साथी इसके गवाह हैं ।
यह हमेशा से इनकी दादागिरी रही है कि ये कई सीटों पर घपला करते हैं लेकिन पिछले साल कॉउंसलिंग हॉल में हजारों इन सर्विस मजबूत साथियों की बदौलत यह आंकड़ा एक-दो सीटों तक अटक गया ।
इंस्टिट्यूशनल प्रेफरेंस का सादा अर्थ यह है कि उक्त यूनिवर्सिटी की कुल स्टेट कोटे की सीटों में 25 फीसदी लोग उस यूनिवर्सिटी के आने ही चाहिए ।
अगर सभी एलिजिबल कैंडिडेट कॉउंसलिंग प्रक्रिया से गुजर गए तो मोप अप के बाद यह सीट ओपन हो जाएगी, लेकिन उस से पहले के सभी राउंड में यह गेंद उनके पाले में ही रहेगी ।
* पिछली साल केवल एक बैच ऐसा था जो महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी से पास आउट था जो कि इस कोटे के लिए एलिजिबल था, इस साल दो बैच हो जाएंगे ।
इस से पहले के सभी महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज के छात्र RUHS में आते थे ।
इस बैच वालों को वो सीटें देने का गेम खेला गया था ।
इन सर्विस और इंस्टिट्यूशनल प्रेफरेंस =
यह प्रेफरेंस है ना कि रिजर्वेशन ।
उदाहरण –
स्टेट कोटे में करीब 500 सीट हैं, इनमें से 25% RUHS के छात्र आने चाहिए, यानी 125 छात्र ।
इस नियम के अनुसार 125 छात्र स्टेट कोटे में RUHS के होने ही चाहिए ।
लेकिन हालात यह हैं कि 125 के बजाय 325 RUHS वाले उपलब्ध हैं अतः यह नियम स्वतः ही पूर्ण हो गया ।
यानी दिक्कत तब आएगी जब RUHS के 125 लोग नहीं मिलेंगे, उस साल ये लोग पहले 125 RUHS वालों का इंतज़ार करेंगे फिर भी पूरी कॉउंसलिंग में 25% यानी 125 लोग नहीं आये तो इनको ओपन करके सबको लेंगे ।
यह दिन अगले कई बरसों तक तो आणा नहीं है, बाकी आपके पोतों की वो जाणें 😉
अभी मौज लो ।
32 Clinical seats increased in Rajasthan Medical Colleges
08 March 2018
मेडिकल कॉलेजों में पीजी (क्लीनिकल) विषयों में 32 सीटों की बढो़तरी की है। बढ़ी हुई सीटों में सत्र 2018-19 से ही प्रवेश देना होगा। एसएमएस मेडिकल कॉलेज में एमएस (ईएनटी) में अब 7 की बजाय 12, एसपी मेडिकल कॉलेज बीकानेर में एमएस (ऑफ्थेल्मोलोजी) में 6 की बजाय 8, आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर में एमएस (ऑफ्थेल्मोलोजी) में 3 की बजाय 4 को प्रवेश दिया जा सकेगा। जानिए और इस बारे में …
– स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य सरकार को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, नई दिल्ली के नियमानसार निर्धारित मापदंड़ों में इन्फ्रास्ट्रक्चर, मेनपावर व उपकरणों की कमी पूर्ति करने के निर्देश दिए हैं। सरकारी कॉलेज कोटा में गायनी की सबसे ज्यादा 11 सीटें बढ़ी हैं।
यहां भी सीटें बढ़ी
सरकारी कॉलेज कोटा
– एमएस एनेस्थेशियालोजी में 11 की बजाय 16
-एमएस (गायनी) में 4 की बजाय 15
-एमएस (ऑफ्थेल्मोलोजी) में 3 की बजाय 4
जेएलएन मेडिकल कॉलेज अजमेर
-एमएस (एनेस्थेशियालोजी) में 14 की बजाय 16
-एमडी (डर्मेटोलोजी) में 3 की बजाय 4
-एमडी (मेडिसन) में 14 की बजाय 18
Read more at Medical Dialogues: One Time Increase in PG Seats: 612 MD, MS seats to be added https://medicaldialogues.in/one-time-increase-in-pg-seats-612-md-ms-seats-to-be-added/
Punjab Cabinet paves way for MBBS Doctors to get full pay during Probation Period
Chandigarh, March 19, 2018: In a bid to retain talent and overcome shortage of medical staff, the Punjab cabinet on Monday decided that MBBS doctors will now get their full salaries, including all allowances, during probation period.
With this, the Cabinet, led by Chief Minister Captain Amarinder Singh, has decided to do away with the condition of ‘basic pay only’ for newly appointed medical officers in the Health & Family Welfare Department.
This is in line with the practice already being followed in several other categories, including Punjab Civil Services (Judicial Branch), Assistant Teachers/Scientists of Punjab Agriculture University and Specialist Doctors, said an official spokesperson.
Barring these categories, all newly appointed employees/officers of Punjab Government, including MBBS doctors, have been getting only basic salary during their probation period, as per the notification issued by the Finance Department on January 15, 2015.
In the case of doctors, specialist doctors recruited along with Medical Officers (MBBS) are getting full pay including all the allowances on the basis of relaxation given to Medical Officers (Specialists), whereas MBBS doctors are getting only basic pay and NPA @ 25% of Basic Pay. This has proved to be a deterrent in getting MBBS doctors to join or remain in government hospitals.
The cabinet decision would facilitate new MBBS doctors to get full salary in the pay scale of Rs.15600-39100+5400/- Grade. Pertinently, the Punjab Public Service Commission had issued an advertisement on February 21, 2018 for recruitment of 306 posts of Medical Officers (General) in the Health and Family Welfare Department to overcome the shortage of doctors in Government Hospitals and Dispensaries across the state.
It is noteworthy that Medical Officers are also working on Medico-legal, Post Mortem, emergency duties, OPD duties, besides the Health Programmes of Central Government and State Government and also the VVIP duties in addition to their services to the general public. Due to acute shortage of doctors, the department is facing difficulties in providing 24X7 hours services to the members of the public.
The Punjab Vidhan Sabha Assurance Committee had also taken serious note of this shortage and directed the Government to fill up these vacant posts at the earliest. In the light of this, the proposal for the payment of full salary to the newly appointed MBBS doctors (being professional), equal to the pay being given to the Specialist doctors, was put up before the Chief Minister after approval by the Health Minister.
In another decision, the Cabinet also approved the “Punjab Health and Family Welfare, Technical (Group-B) Service Rules-2018” to facilitate recruitment and promotions of various technical group “B” vacant posts. These rules would also open more promotional channels for the para-medical and technical staff of the Health and Family Welfare. Additionally, they would help in disposing of the pending service matters smoothly and efficiently, in a stipulated timeframe, besides providing the best healthcare services to the citizens.